किसानों के मुद्दे पर सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है। सरकार के मंत्री भी मंचों से किसानों के लिए किसान निधि देने से लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे। हालांकि जमीन पर हकीकत सरकार के दावों से बिल्कुल विपरीत है। सुल्तानपुर में किसान जहां धान को बेचने के लिए क्रय केंद्रों का चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
वहीं, किसानों के खरीदे गए धान को मिलर्स तक पहुंचाने वाले ठेकेदारों द्वारा उठान न होने के कारण गोदामों के बाहर खुले में पड़े हैं। वो भी तब जब लगातार दो दिनों से हो रही बूंदा-बांदी हो रही। ऐसे में सैकड़ों क्विंटल धान भीगने की कगार पर है।
पॉलीथीन से ढककर बचा रहे धान
मामला जिले के मोतिगरपुर ब्लॉक क्षेत्र का है। यहां ज्यादातर क्रय केंद्रों पर सचिवों द्वारा मोटी पॉलिथीन डालकर उन्हें भीगने से बचाने के उपाय किए जा रहे हैं, जो नाकाम साबित हो रहे है। मोतिगरपुर ब्लॉक अंतर्गत पदारथपुर उपाध्याय में साधन सहकारी समिति के बाहर सैकड़ों क्विंटल धान गोदामों के बाहर खुले में पड़ा है। जिस पर सचिव सत्यदेव दुबे द्वारा पॉलीथीन डालकर ढकने का प्रयास किया गया है। बावजूद, इसके बारिश का पानी बोरों को भिगोने के लिए काफी है।
कोटा फुल, नहीं बन पा रहे टोकन
सचिव ने बताया कि मिलर्स तक पहुंचाने का ठेका कमला ट्रेडर्स और राहुल ट्रेडर्स ने ले रखा है। जो कभी भी ढुलाई के लिए नहीं आए। उधर, अटैच मिलों का कोटा फुल होने की वजह से टोकन नहीं बन पा रहा है जिसके कारण किसानों का धान खरीदने में दिक्कत आ रही है। धान की उठान न किए जाने व गोदाम भर जाने से धान को खुले में रखना मजबूरी है। पॉलिथीन डालकर भीगने से बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
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