दूसरे कोरोना कॉल के दौरान सांसद मेनका गांधी ने सुल्तानपुर जिला अस्पताल को गोद लिया था। कयास लगाया जा रहा था कि यहां की तस्वीरें अब बदल जाएंगी। लेकिन आलम यह है कि स्टॉफ की लापरवाही के चलते स्थिति बद से बत्तर हैं। वॉर्ड में बड़े इन दो लावारिस मरीजों को देखिए जो जिला अस्पताल में नरकीय जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
दोनों पैरों पर बांधा गया प्लास्टर
7 दिसंबर को 35 वर्षीय एक अज्ञात महिला जगदीशपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) से रेफर होकर जिला अस्पताल लाई गई। एक्सरे के बाद पता चला कि उसके दोनों कूल्हे बुरी तरह से टूटे हुए हैं। अस्थि रोग कक्ष में उस महिला का आज प्लास्टर बंध रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि महिला की दोनों हड्डियों को जोड़ने में महंगा खर्च आएगा।
सीएचसी से जिला अस्पताल किया गया है रेफर
वही दूसरी ओर जनरल वॉर्ड के 8 नंबर बेड पर उमाकांत लावारिस हालत में भर्ती है। उसने बताया कि वह बिहार के मुजफ्फरनगर के निवासी है। किस गांव का वो रहने वाला है वह यह नहीं बता सका। इसका भी एक कूल्हा टूटा हुआ है। बीते 1 दिसंबर को जगदीशपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से इसे भी जिला अस्पताल भर्ती कराया गया है।
तीमारदार भड़के तो थैली बदलने के दिए निर्देश
बाथरूम का थैला पूरी तरीके से भरकर रिसने लगा है और टॉयलेट बहते हुए पूरे आसपास के बेड तक पहुंच रहा है। जिससे अगल-बगल के मरीज व तीमारदार अस्पताल कर्मियों पर भड़के। इस बाबत वहां मौजूद स्टॉफ ने बताया कि थैली खाली करने के निर्देश दिए गए हैं। सीएमएस एससी कौशिक ने बताया की स्टॉफ को बेहतर इलाज करने के निर्देश दे दिए गए हैं।
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