डांस करते-करते जान जाने की वजह...जीन तो नहीं:BHU के रिसर्च में खुलासा- देश में 6 करोड़ लोगों को कार्डियक अरेस्ट का हाईरिस्क

वाराणसी4 महीने पहलेलेखक: हिमांशु अस्थाना
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आजकल नाचते-नाचते गिरकर कार्डियक अरेस्ट आना और सेकंडों में मौत हो जाना जैसे आम बात हो गई हो। वाराणसी में मंगलवार को डांस करते हुए 40 साल के एक कारोबारी को चक्कर आता है और वह तत्काल जमीन पर गिरकर दम तोड़ देता है। उसे अस्पताल ले जाने तक का भी मौका नहीं मिला और मौत हो गई। एक स्टडी में यह भी सामने आया है कि भारत में हार्ट अटैक से मरने वाले हर तीसरे मरीज की उम्र 40 साल है।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय यानी BHU के जीन वैज्ञानिकों और रिसर्चरों के साथ स्टडी कर बताया है कि 6 करोड़ इंडियंस में एक जीन MYBPC3 पाया जाता है। इन 6 करोड़ लोगों को कार्डियक अरेस्ट का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है। इस कार्डियक अरेस्ट के पीछे क्या-क्या वजह हो सकती हैं और ऐसे लोगों के खतरे को पहले कैसे डिटेक्ट करें।

देशभर के साइंटिस्ट की मांग है कि अब देश में इसको लेकर पोस्ट कोविड कार्डियोवस्कुलर इफेक्ट की स्टडी हो। कार्डियक सर्विलांस कर देखा जाए कि समस्या क्यों हो रही है। हार्ट अटैक से पहले ही बताया जाए कि किसी व्यक्ति को ऐसी समस्या क्यों हो रही है।

इस समस्या को लेकर IMS-BHU के कार्डियोलॉजिस्ट प्रो. ओमशंकर और जीन वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे से दैनिक भास्कर ने बातचीत की...

प्रो. ओमशंकर, कार्डियोलॉजिस्ट, IMS-BHU
प्रो. ओमशंकर, कार्डियोलॉजिस्ट, IMS-BHU

अस्पताल जाने से पहले दें CPR
IMS-BHU के कार्डियोलॉजिस्ट प्रो. ओमशंकर ने कहा कि कार्डियक अरेस्ट जब आता है तो तत्काल मौत नहीं होती। हर कार्डियक अरेस्ट में रेस्क्यू के लिए 2-5 मिनट का वक्त मिलता है। आप उतने देर में अस्पताल तो नहीं पहुंच सकते, इसलिए बेहतर होगा कि उसे घर पर ही CPR (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) दें। हार्ट अरेस्ट के महज 2 से 3 मिनट के अंदर इस प्रक्रिया को शुरू कर दें। इसमें चेस्ट को कंप्रेश और माउथ टू माउथ ब्रीदिंग करते हैं। जब मरीज की सांसे चलने लगे तो उसे अस्पताल लेकर पहुंचे।

कार्डियक अरेस्ट के दौरान होने वाली मौतों से बचाने के लिए BHU में CPR देने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
कार्डियक अरेस्ट के दौरान होने वाली मौतों से बचाने के लिए BHU में CPR देने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
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कोविड के बाद हार्ट को पंप करने में लगता है जोर
प्रो. ओमशंकर ने कहा कि कार्डियक अरेस्ट से तत्काल पहले मरीज के सीने में तेज दर्द उठता है। फिर चक्कर आता है और वह गिर पड़ता है। वहीं, दूसरे लक्षण लांग टर्म के होते हैं। वहीं कोरोना के बाद भी हार्ट अटैक के लक्षणों में बदलाव आए हैं। कोविड वायरस यदि फेफड़ों तक पहुंचा होगा तो उससे वहां पर सूजन भी हुआ होगा। इससे ब्लड सर्कुलेशन में ऑक्सीजन का प्रवाह कम होता है। हार्ट को ब्लड पंप करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। वहीं, अधिक फिजिकल एक्टिविटी की गई तो यह घातक हो सकता है। हार्ट फेल भी हो सकता है।

कोविड के बाद बढ़ा है कार्डियक अरेस्ट का खतरा
प्रो. चौबे ने कहा कि कोविड के बाद हार्ट के कंट्रोल सिस्टम थोड़ा डिस्टर्ब हुआ है। यह देखा गया है की काफी लोगों के मायोकार्डियल मसल्स को नुकसान पहुंचा है। बोलचाल की भाषा में बात करें तो हृदय की मांसपेशियों में होने वाली ब्लड की सप्लाई कम हुई है। इससे कार्डियक रिलेटेड पाथ-वे, जिसमें ACE2 जीन के द्वारा संचालित रेनिन-एंजायोटेंसिस प्रमुख है, भी प्रभावित हुआ है। वहीं, कोविड के बाद हार्ट मसल में भी इंफ्लेमेशन हुआ है। इससे ऑक्सीजन पंप करने की क्षमता भी कम हुई है, जिसको मायोकार्डिटिस भी कहते हैं। कुल मिलाकर बॉडी का पूरा कार्डियक फंग्शन ही कमजोर हुआ है।

प्रो. चौबे ने कहा कि इस वजह से पोस्ट कोविड में एक बहुत बड़ी संख्या में लोग अपनी पुरानी क्षमता से शारीरिक काम नहीं कर पाते। किसी भी फिजिकल एक्टिविटी करने के लिये हमें ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है, जबकि मायोकार्डिटिस के कारण काफी लोगो का हार्ट उतने ऑक्सीजन की सप्लाई करने में अब सक्षम नहीं है। इसलिए पोस्ट कोविड फिजिकल एक्टिविटी पर थोड़ा कंट्रोल करना होगा। सीना भारी होने से पहले ही फिजिकल वर्क छोड़ दें।

कोविड से पूर्व के लक्षण

  • आंखों के आसपास पीलापन।
  • खड़े होने पर चक्कर आना।
  • आंख के चारों ओर नीला, सफेद या भूरे रंग के छल्ले बनना।
  • सीने में दर्द और भारीपन, जकड़न।
  • तेज पसीना निकलना और घबराहट।
  • सीने में जकड़न।
  • घबराहट।