71 बार ब्लड डोनेट कर चुके IMS-BHU में ब्लड बैंक के इंचार्ज को ही प्लेटलेट्स नहीं मिली। डेंगू से पीड़ित इंचार्ज प्रोफेसर एसके सिंह का प्लेटलेट्स कांउट कल रात 8 हजार पर आ गया था। हालत खराब होने पर परिजन BHU के ब्लड बैंक पहुंचे, जहां प्लेटलेट्स न होने की बात कही गई। इसके बाद ब्लड बैंक के गेट पर कर्मचारियों द्वारा एक नोटिस चस्पा कर दिया गया।
डेंगू के संकट के बीच किट का न होना जानलेवा
इस नोटिस पर लिखा था कि सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (SDP) किट उपलब्ध न होने पर कुछ समय के लिए यह प्रकिया बाधित है। हालांकि किट न होने की बात करना हैरानी की बात है, क्योंकि BHU अस्पताल हर मरीज से प्लेटलेट्स के बदले 8 हजार रुपए लेता है।
वहीं, इसके लिए फंड की कोई कमी नहीं है। बहरहाल, डेंगू के बढ़े मामलों के बीच प्लेटलेट्स किट न होने का बहाना मरीजों की जान से खेलने के बराबर है। बीएचयू ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. संदीप कुमार गुप्ता ने कहा कि किट खत्म होने की सूचना MS ऑफिस को दी गई है। जल्द ही व्यवस्था फिर से सुचारू हो जाएगी।
महामना कैंसर संस्थान ने किया 2 यूनिट प्लेटलेट्स रिजर्व
गनीमत रही कि शुक्रवार रात में BHU के पास में स्थित महामना कैंसर संस्थान में उनके जूनियर साथियों ने उनकी मदद की। 2 यूनिट प्लेटलेट्स तत्काल उनके लिए रिजर्व कर दिया गया। पिछले 1 साल से कैंसर से जूझ रहे प्रो. सिंह को BHU ब्लड बैंक की यह दयनीय स्थिति देखकर काफी निराशा हुई। बीमारी के बावजूद मुश्किल से दैनिक भास्कर से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि जिस ब्लड बैंक की दुहाई पूरा पूर्वांचल देता था, आज उसके पास अपने मरीजों के लिए ही प्लेटलेट्स नहीं है।
अपनी 60 साल के उम्र में 71 बार वह खून, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स देकर भारत में रिकॉर्ड बना चुके हैं। 71 बार में उन्होंने सबसे अधिक बार BHU के ब्लड बैंक में ही रक्तदान किया है। बीते 20 साल में 40 यूनिट ब्लड देने पर रक्तदान कुंभ समिति ने उन्हें सम्मानित भी किया था।
कोरोनाकाल में नहीं होने दी खून की कमी
प्रोफेसर एसके सिंह ने कोरोना की पहली लहर में बिना कैंप लगाए थैलीसिमिया से पीड़ित 130 बच्चों को हर माह एक-दो यूनिट ब्लड उपलब्ध कराया था। वहीं कोरोनाकाल में जब लोग अस्पताल आने से कतरा रहे थे, उस समय छात्रों और अस्पताल के कर्मचारियों की मदद से हीमोफिलिया और कैंसर आदि के मरीजों को खून की कमी BHU में नहीं आने दी थी। इसको लेकर देश भर में इनकी काफी प्रशंसा भी हुई। आज उसी BHU में उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा।
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