महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस वाराणसी विजिट पर हैं। आज श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार और दुर्गा कुंड मंदिर में मत्था टेकने के बाद वह गौदौलिया स्थित जंगमबाड़ी मठ में आयोजित वीर शैव सम्मेलन में शामिल हुए। इसके साथ ही उन्होंने BJP के कार्यकर्ताओं से बातचीत भी की। जंगमबाडी मठ को एनर्जी का सेंटर बताते हुए फड़नवीस ने कहा कि महाराष्ट्र से काफी लोग यहां पर आते हैं और काशी का तीर्थाटन करते हुए महीनों गुजार देते हैं।
उन्होंने कहा कि हर मराठी यही चाहता है कि जीवन में एक बार काशी जंगमबाड़ी मठ में तो आना ही है। मठ में पत्रकारों से बातचीत में देवेंद्र फड़नवीस ने बोला कि आज बाबा विश्वनाथ का दर्शन बड़ी ही किस्मत से मिला।
इसके पहले जब आया था, तो बाबा कॉरिडोर के निर्माण का काम चल रहा था। पिछले साल दिसंबर में हुए उद्घाटन के बाद मैं पहली बार आज यहां आया हूं। कॉरिडोर देखकर ऐसा एहसास हुआ कि यह अद्भुत काम हमारे पीएम मोदी की संकल्पना के बिना संभव नहीं था। जिसे देखकर हम सब अभिभूत हैं।
जंगमबाड़ी के उत्तराधिकारी होंगे डॉ. मल्लिकार्जुन शिवाचार्य
देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि इस प्राचीन काशी जंगमबाड़ी मठ के उत्तराधिकारी अब श्री 108 डॉ. मल्लिकार्जुन शिवाचार्य महराज होंगे। शुक्रवार को उनका उत्तराधिकारी पट्टाधिकार महोत्सव मनाया जाएगा। महाराज महराष्ट्र के सोलापुर से ही हैं। फड़नवीस ने कहा कि जंगमबाड़ी मठ का इतिहास प्राचीन है।
हमारे आचार्य, संतानें और प्राचीन संस्कृति को जीवित रखा है। केवल भारत ही नहीं, बल्कि रूस तक इस ज्ञान को हमारे 1008 जगतगुरु डॉ. चंद्रशेखर शिवाचार्य महास्वामी ने फैलाया है। उन्होंने कहा कि शिवाचार्य महास्वामी के जन्म अमृत महोत्सव पर उपस्थित रहकर आशीर्वाद मुझे ही प्राप्त हुआ है।
बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद पीएम पर
देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि मेरा मानना है, बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद पीएम और हम सभी पर है। इसीलिए हमारा देश आज इतनी तेज तरक्की कर रहा है। फड़नवीस बोले कि हम अयोध्या तो हमेशा जाते ही रहते हैं। राम मंदिर निर्माण के भी कार्य में लगे हैं। हम तो कारसेवक हैं।
मगर, इस बार काशी की बारी थी। इस दौरान पत्रकारों से उन्होंने किसी भी तरह की राजनीतिक टीका-टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। कहा कि इस समय मैं एक पवित्र धर्मस्थल पर हूं। यहां इससे इतर बातें करनी ठीक नहीं है।
ओवैसी भी काशी में
वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी क्षेत्र में बने मस्जिद पर अस्सुद्दीन ओवीसी भी आए हैं। जब उन्हें इस बात की जानकारी दी गई, तो वह बोले कि 'जिसकी जैसी भावना वैसी प्रभु की मूरत दिखी'। इसका मतलब है कि उनकी भावना ऐसी है, हमारी यहां है। इसलिए हम अपनी अपनी इच्छानुसार सही स्थल पर पहुंचे है।
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