वाराणसी में आज 511 केंद्राें पर प्रिकाशनरी डोज लगाई जा रही है। बूस्टर डोज लगवाने के 3 दिन बाद ही व्यक्ति में एंटीबॉडी बनना शुरू हो जा रही है। इस प्रिकाशनरी डोज से काफी हद तक लोगों को कोविड के संक्रमण से सुरक्षा मिलने की उम्मीद है। यह कहना है कि IMS-BHU के माइक्रोबायोलाजिस्ट प्रोफेसर गोपालनाथ था।
उन्होंने कहा जिन लोगों ने मार्च में वैक्सीन की दूसरी डोज ले ली थी, वे तत्काल बूस्टर डोज लगवा लें। यह करीब 90% लोगों को वायरस से सुरक्षा दे सकता है। हालांकि इजराइल में हुआ एक शोध बताता है कि बूस्टर डोज ओमिक्रॉन वैरिएंट के संक्रमण से सुरक्षा देने में 80% तक सक्षम है। हालांकि भारत की वैक्सीन पर ऐसा कोई रिसर्च नहीं हुआ है। मगर सिवियारटी तो जरूर कम रहा है।
प्रो. गोपालनाथ ने कहा कि 10% ऐसे लोग भी होते हैं, जिनकी बॉडी या बायोलॉजिकल सिस्टम एंटी वायरल को जल्दी से सपोर्ट नहीं करता है। कुछ-कुछ लाेगों की शरीर नॉन रिस्पांसडेबल होती है। जिनमें इम्युन रिस्पांस लेट होता है उन्हें दिक्कत है।
9 महीने बाद लग रहा डोज
कोरोना से बचाने को लेकर आज प्रिकाशनरी डोज हेल्थ केयर वर्कर और फ्रंट लाइन वर्करों को दी जा रही है। वहीं 60 साल से ऊपर के लोगों को भी वैक्सीन की तीसरी डोज दी जाएगी। जिन-जिन लोगों को वैक्सीन की सेकेंड डोज लगे 9 महीने बीत गए हैं, केवल वही लोग यह डोज लगवा सकते हैं।
एंटीबॉडी बनने का टाइम हर डोज पर अलग है
प्रो. गोपालनाथ का कहना है कि हर डोज में वैक्सीन लगवाने के बाद एंटीबॉडी अलग-अलग समय में बनती है। पहला डोज लगवाने के 7-10 दिन (संक्रमित न रहने पर करीब 15 दिन) में, तो दूसरे डोज के 5-7 दिन और तीसरा डोज लगने के 3 दिन में ही एंटीबॉडी तैयार कर देता है। ऐसे में बूस्टर डोज लगवाकर खुद को सिक्योर कर सकते हैं।
आज 511 सेंटर पर दी जा रही बूस्टर डोज
वाराणसी के CMO डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि आज शहर और गांव को मिलाकर कुल 511 सेंटर बनाए गए हैं, जहां पर यह बूस्टर डोज लगाई जाएगी। इसमें 270 स्कूल भी शामिल हैं। इसके लिए COWIN पोर्टल पर स्लॉट बुक करने के साथ ही ऑन द स्पॉट भी वैक्सीन लगवाई जा सकती है।
गौर करने वाली बात यह भी है कि पहले जिस वैक्सीन की डोज दी गई है वही बूस्टर में भी लगेगी। यानि कि कोवैक्सीन या कोविशील्ड दोनों में से काेई एक। चुनाव की ड्यूटी करने वाले भी तीसरी डोज लगवा सकते हैं। यदि उन्होंने फ्रंटलाइन वर्कर में अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है तो वैक्सीनेशन के दौरान अपने विभाग का सर्टिफिकेट देना होगा।
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