काशी में गंगा किनारे विकसित होगा फ्रूट कॉरिडोर:किसानों की आय दोगुनी करने और प्रदूषण मुक्त गंगा के लिए विकसित होगी बागवानी, वाराणसी के 44 गांव चिन्हित

वाराणसीएक वर्ष पहले
  • कॉपी लिंक
बागवानी तैयार करने के लिए किसानों को 3 साल तक कुल 1 लाख 8 हजार रुपए दिए जाएंगे। - Dainik Bhaskar
बागवानी तैयार करने के लिए किसानों को 3 साल तक कुल 1 लाख 8 हजार रुपए दिए जाएंगे।

वाराणसी में उद्यान विभाग गंगा किनारे फ्रूट कॉरिडोर विकसित किया जाएगा। किसानों की आय दोगुनी करने और गंगा के किनारे प्रदूषण मुक्त वातावरण व पर्यावरण को बेहतर बनाने की मकसद से इस योजना लाई गई है।

जिले के दक्षिणी हिस्सा काशी विद्यापीठ ब्लॉक से उत्तरी छोर के चिरईगांव और चोलापुर तक फलों की बागवानी की जाएगी। किसानों के खाली पड़े या डूब की जमीन पर आम,अमरूद ,आंवला, बेर, बेल ,अनार ,शरीफा ,नींबू के पेड़ लहराएंगे। इन फलों का गंगा के रास्ते व्यापार भी हो सकेगा। गंगा से गुजरने वाली शिप के माध्यम से किसानों के फलों को बेहतर बाजार भी मिल सकेगा।

इंटरक्रॉपिंग के तहत सब्जी भी लगा सकेंगे किसान

पूरे बनारस में 44 गांवों को इस योजना के लिए चिन्हित किया गया है। पूरे क्षेत्र को पूरी तरह से सुरक्षित और संरक्षित भी करने की योजना बना ली गई है। जानवरों से बचाने के लिए टीला तार या चैन लिंक फेंसिंग से बाग को घेरा जाएगा। वहीं फलों की बागवानी के साथ इंटर क्रॉपिंग के रूप में साग भाजी की भी फसलें लगाईं जाएंगी। किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए यह अब तक की सबसे शानदार पहल है। किसानों को बागवानी और खेती की सुरक्षा के लिए प्रति हेक्टेयर जमीन पर 3000 रुपए हर माह दिए जाएंगे। 3 साल तक कुल 1 लाख 8 हजार रुपए किसानों को DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से सीधे उनके बैंक अकाउंट में दिया जाएगा।

मॉडल नर्सरी भी होगी विकसित
उद्यान निदेशक डॉ. आरके तोमर ने बताया कि गंगा के तटवर्ती इलाकों में उद्यानिकी विकास योजना के अंतर्गत 150 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बागवानी कराने का लक्ष्य रखा गया है। अब किसानों का काम है कि वे विभाग द्वारा लगवाए गए फलों और सब्जियों का रखरखाव बेहतर करें। वहीं उन्हें क्वालिटी वाले फलदार पौधों को उगाने और इसका एक मॉडल नर्सरी तैयार करने की भी जिम्मेदारी दी गई है। इस नर्सरी को 1 हेक्टेयर क्षेत्रफल में विकसित किया जाएगा। वहीं यह एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के मानकों के अनुरूप ही किसानों के खेतों में होगा। इसमें बोरिंग, मातृ पौधे, पाॅली हाउस, हार्डनिंग शेड लगाए जाएंगे। उसकी लागत का 50 प्रतिशत 7.50 लाख रुपए की सब्सिडी बैंक एंडेड के रूप में दिया जाएगा।

गंगा की पट्टी में बनेंगे 10 -10 हेक्टेयर के क्लस्टर
वाराणसी के जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्त ने बताया कि गंगा की पट्टी में 10 -10 हेक्टेयर के क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। वहीं किसानों का सेलेक्शन "पहले आओ-पहले पाओ' के आधार पर किया जाएगा। इच्छुक किसान अपनी खतौनी, बैंक पासबुक और आधार कार्ड की फोटोकॉपी व पासपोर्ट साइज की फोटो लेकर कचहरी स्थित जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय (छुट्टी के दिनों को छोड़कर) पहुंचे। वहीं, घर बैठे उद्यान विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं।

गंगा किनारे हुआ 44 गांवों का चयन
1 किसान को 16 बिस्वा से लेकर 1 हेक्टेयर तक बागवानी करने और सब्सिडी लाभ दिया जाएगा। किसान को मात्र अपने बाग को तैयार करना होगा और भविष्य में जीविकोपार्जन सहित आय में वृद्धि करने के लिए सब्जियों, मसाले की खेती को इंटर क्रॉपिंग के रूप में अपनाना होगा। जिले में गंगा के किनारे 44 ग्राम पंचायतों को इस बागवानी के लिए चुना गया है। वहीं इनमें से कई क्षेत्र शहरी सीमा से भी सटे हैं, वहां भी बागवानी की जाएगी। वहीं नजदीकी 5 किलोमीटर की परिधि में आने वाला कोई भी किसान इस योजना से जुड़ सकता है।

खबरें और भी हैं...