ज्ञानवापी मामले पर वाराणसी कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि न तो सर्वे का काम रुकेगा और न ही एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा हटेंगे। एडवोकेट कमिश्नर के साथ कोर्ट ने स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर और असिस्टेंट एडवोकेट कमिश्नर भी नियुक्त कर दिए हैं। DGP यूपी, चीफ सेक्रेटरी की जिम्मेदारी होगी कि वे कमीशन की कार्यवाही की निगरानी करें, ताकि उसे टाला नहीं जा सके।
सर्वे का काम सुबह 8 से दोपहर 12 तक होगा। तब तक होगा जब तक सर्वे नहीं हो जाता है। किसी भी तरह से सर्वे की कार्यवाही न रोकी जाए। कमिश्नर कहीं भी फोटोग्राफी के लिए स्वंतत्र होंगे। अगर कहीं ताला लगा दिया जाता है तो ताला को खुलवाकर या तुड़वाकर जिला प्रशासन सर्वे करवाएगा। सर्वे के काम में बाधा पैदा करने वालों पर FIR होगी। कोर्ट ने 17 मई तक सर्वे की रिपोर्ट मांगी है।
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आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगा मुस्लिम पक्ष
अदालत ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की दोनों मांगों को खारिज कर दिया है। कमेटी के वकील अभय नाथ यादव ने दैनिक भास्कर से बताया कि कोर्ट का आदेश कानून की परीधि से बाहर है। हम इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे। कब जाएंगे, यह कमेटी के सभी पदाधिकारियों से बात कर तय होगा।
6 और 7 मई को हुए सर्वे के बाद कमेटी ने अदालत से कहा था कि एडवोकेट कमिश्नर निष्पक्ष नहीं हैं, इसलिए उन्हें हटाया जाए। दूसरी डिमांड थी कि ज्ञानवापी में बैरिकेडिंग के भीतर तहखाने का वीडियोग्राफी और सर्वे न हो।
जिला प्रशासन पर कोर्ट की टिप्पणी
अदालत ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि यह बात अदालत की समझ से परे है। अक्सर देखने में आता है कि जिला प्रशासन के अधिकारी अपने अहंकार के कारण न्यायालय के आदेश का अनुपालन कराना उचित नहीं समझते हैं। माननीय उच्च नयायलय द्वारा निर्देश का पालन भी अधिकारी नहीं करते हैं।
कोर्ट की 7 बड़ी बातें
बुधवार की सुनवाई के बाद हिंदू पक्ष के वकीलों ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा था कि मुस्लिम समुदाय ही बताए कि बिना कार्यवाही के कैसे मानेंगे कि क्या गलत और क्या सही है। मस्जिद के साक्ष्य आएंगे, तो हम पीछे हटेंगे और मंदिर हुआ तो आप पीछे हट जाइएगा। जब यह तय ही नहीं है कि वह मंदिर है या मस्जिद, तो 'प्सेलेज ऑफ वरशिप एक्ट' यहां पर कैसे लगेगा।
यहां जाने पूरा घटनाक्रम
6 मई: अदालत के आदेश पर नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को लेकर 6 मई से ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराना शुरू किया। इस दिन केवल शृंगार गौरी के विग्रह और दीवारों की वीडियोग्राफी ही हो पाई। पहले दिन आश्चर्यजनक तौर पर बड़ी संख्या में मुसलमान मस्जिद में नमाज को आए और सर्वे को लेकर बवाल और नारेबाजी हुई थी। मुस्लिम पक्ष का आरोप था कि एडवोकेट कमिश्नर वादी पक्ष की तरह पार्टी बनकर सर्वे कर रहे हैं।
7 मई: दोपहर में सर्वे का काम दोबारा शुरू हुआ। वादी पक्ष ने आरोप लगाया कि 500 से ज्यादा मुस्लिम मस्जिद के अंदर ही हैं और सर्वे के लिए प्रवेश नहीं करने दे रहे हैं। न ही प्रशासन कोई सहयोग दे रहा। विवाद के बाद सर्वे रुक गया और मामला फिर से कोर्ट में चला गया।
9 मई: अदालत में सुनवाई के दौरान वादी पक्ष ने कहा कि एडवोकेट कमिश्नर अपना काम सही से कर रहे हैं। सर्वे में अड़ंगा डालने के लिए उन पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। ज्ञानवापी के अंदर वीडियोग्राफी और सत्यापन की अनुमति दे दी जाए।
10 मई: अदालत में दोनों पक्षों के वकीलों के बीच डेढ़ घंटे तक बहस हुई थी। इस दौरान वकीलों ने एडवोकेट कमिश्नर के बदले जाने और ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर दलील पेश की। मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने तैयारी के साथ कुछ और तथ्य देने के लिए 11 मई तक का समय मांगा था। इस पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए 12 मई की तारीख तय कर दी। साथ ही कहा कि जरूरत पड़ने पर जज स्वयं मौके पर जाएंगे।
2021 में दायर किया गया केस
राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने वाराणसी की जिला अदालत में अगस्त 2021 में एक मुकदमा दाखिल किया। अदालत से मांग की थी कि मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले। इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के सुरक्षा की भी बात अदालत के सामने उठाई गई।
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