वाराणसी में कल काशी-तमिल संगमम का औपचारिक शुभारंभ होगा। दो दिन तक काशी-तमिल गीत-संगीत का कार्यक्रम चलेगा, उसके बाद 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के एंफीथिएटर ग्राउंड में संगमम के मुख्य आयोजन की शुरुआत करेंगे। बताया रहा है कि 12 ट्रेनों से ढाई हजार प्रतिभागी और तमिलनाडु के कुल 10 हजार लोग वाराणसी घूमने के लिए आएंगे।
आज BHU के एंफीथिएटर ग्राउंड पर SPG के अधिकारियों के साथ पुलिस और प्रशासन की बैठक हुई। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया गया। पंडाल में 5 हजार कुर्सियां लगाईं गईं हैं। 100 मजदूर मिलकर मंच को अंतिम रूप देने में लगे हैं।
वाराणसी के डीएम एस राजलिंगम ने मीडिया से बताया कि प्रधानमंत्री करीब दो घंटे तक यहां पर रहेंगे। IIT-मद्रास की ओर से चयनित 210 तमिल मेधावियों से प्रधानमंत्री बातचीत करेंगे। वहीं, शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम और लोक नृत्य की प्रस्तुतियां होंगी।
प्रधानमंत्री मोदी यहां पर अपना उद्बोधन देने के बाद 75 स्टालों की प्रदर्शनी देखेंगे। इसके बाद कार्यक्रम पूरे एक महीने तक लगातार चलेगा। तमिलनाडु के 2500 विजिटर्स वाराणसी आएंगे, वे यूपी के ब्रांड अंबेसडर बनकर अपने घर लौटेंगे।
एग्जीबिशन में दिखेगा पूरा तमिलनाडु
भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष और कार्यक्रम के आयोजक पंडित कृष्ण चमू शास्त्री ने कहा कि इस तमिल के लोग पूरे एक महीने तक काशी को फिजिकली यानी कि यहां पर उपस्थित होकर महसूस करेंगे। वहीं, काशी के लोग तमिलनाडु को एग्जीबिशन में देखेंगे। काशी तमिल संगमम भारत के इतिहास में हिंदी और तमिल भाषाई लोगों के मेल-मिलाप का सबसे बड़ा महोत्सव है।
काशी दर्शन के बाद संगम और राम नगरी भी जाएंगे तमिल डेलीगेट्स
17 नवंबर से 16 दिसंबर तक चार अलग-अलग सप्ताह में 12 ट्रेनों से ढाई हजार तमिल डेलीगेट्स वाराणसी आएंगे। हर डेलीगेट दो दिन काशी-तमिल संगमम में रूकेगा। यहां पर BHU के छात्रों, रिसर्चरों और एकेडमिक लोगों के साथ संगोष्ठियां होंगी।
वहीं, यहां पर सजे 75 स्टालों पर तमिलनाडु का कल्चर, परिधान, व्यंजन, हस्तकला, हथकरघा, हेरिटेज, वास्तुकला, मंदिर, त्योहार, खानपान, खेल, मौसम, शिक्षा और राजनीतिक जानकारियां दी जाएंगी। वे लोग वाराणसी के मंदिर, घाट, सारनाथ, हेरिटेज घूमेंगे। वहीं यहां से प्रयागराज संगम और अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर का दर्शन करके सभी लोग वापस काशी आएंगे। यहां से वे तमिलनाडु लौट जाएंगे।
सज गया एंफीथिएटर ग्राउंड
BHU का एंफीथिएटर ग्राउंड टेंट सिटी की तरह से सज गया है। रंग-बिरंगी लाइट्स और झालर लगा दिए गए हैं। पंडाल में भरपूर रोशनी रहे, इसके लिए ट्रासपेरेंट छत ढाली गई है। वहीं ठंड से बचने के लिए स्टालों की दीवारों को काफी मोटा बनाया गया है।
एसपीजी ने पूरे ग्राउंड की जांच-परख कर ली है। वहीं ऑक्सीजन प्लांट को कवर करने की योजना पर विचार चल रहा है। दरअसल, यहां पर इससे पहले DRDO ने कोविड अस्पताल बनाया था। उसे इस साल हटा दिया गया।
दिखाई जाएंगी तमिल फिल्में
पंडित चमू कृष्ण शास्त्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की संकल्पना पर शिक्षा मंत्रालय द्वारा इस कार्यक्रम को कराया जा रहा है। इसमें IIT-मद्रास और BHU को आयोजक बनाया गया है। IIT-मद्रास द्वारा 2500 लोगों का 12 ग्रुप बनाया गया है। दिन भर तमिल विषयों पर संगोष्ठियां होंगी।
वहीं, शाम को लोक कला और शास्त्रीय कलाओं की प्रदर्शनी और प्रस्तुति होगी। तमिल लोगों को देखने के लिए काशी का हैंडलूम होगा, तो वहीं काशी के लोग तमिल के व्यंजनों का स्वाद ले सकेंगे। यहां तमिल क्लासिकल किताबें हिंदी भाषा में मिलेंगी।
पूरे दिन कई तमिल फिल्में दिखाईं जाएंगी, जिसमें नॉलेज हेरिटेज, कल्चरल हेरिटेज, आर्किटेक्चरल हेरिटेज, टेंपल हेरिटेज आदि होंगी। काशी के लोगों को इस ग्राउंड पर संपूर्ण तमिलनाडु को देखने का अवसर मिलेगा।
इन तमिल ब्यंजनों का उठाएंगे लुत्फ
चमू शास्त्री ने बताया कि आपको साउथ इंडिया के टेस्ट वाला इडली-डोसा, सांभर और उत्तपम खाने को मिलेगा। साथ ही चेत्तीनाद कुसिन, कुंगनाड़ कुसिन, पोरियल (कई तरह की सब्जियों से बना व्यंजन), मोर कुलम्बु (नारियल के साथ दही और मसाले), पुली कुलम्बु, मुरुक्कू, लेमन राइस, नेई पायसम, पोरियाल पोंगल समेत सैकड़ों तरह के व्यंजन खाने को मिलेंगे।
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