वाराणसी के स्कूल ऑफ राम में 1 अक्टूबर से एक महीने का सर्टिफिकेट कोर्स ( रामचरित मानस: ओसियन ऑफ साइंस ) शुरू किया जाएगा। इस कोर्स में एडमिशन लेने वाले छात्र भगवान श्री राम और तुलसीदास के जीवन दर्शन की पढ़ाई करेंगे। इस कोर्स में कोई भी एडमिशन ले सकता है। इसके लिए उन्हें कोई फीस नहीं देनी होगी। एडमिशन के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 28 सितंबर है।
इस कोर्स में एडमिशन लेने वाले छात्रों को तुलसीदास की रचनाओं के बारे में ऑनलाइन पढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही रामचरित मानस में निर्जीव विज्ञान (भौतिक,रसायन, गणित, ज्योतिषशास्त्र, खगोल विज्ञान), सजीव विज्ञान (प्राणी विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, औषधि विज्ञान, शरीर विज्ञान), सामाजिक विज्ञान (मानव, अर्थशास्त्र और समाज विज्ञान) की शिक्षा भी दी जाएगी।
इसके अलावा मनोविज्ञान, भाषाविज्ञान, योग विज्ञान,पर्यावरण विज्ञान,आयुर्वेद विज्ञान,भौगोलिक शास्त्र, खगोलीय शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र, वास्तु शास्त्र, काव्य शास्त्र, शिक्षाशास्त्र और रामचरितमानस में धनुष आणविक तकनीकी के बारे में भी पढ़ाया जाएगा।
छात्रों को पढ़ाने कि जिम्मेदारी गोविंद देव गिरि जी महाराज (कोषाध्यक्ष,श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट), डॉ. रामदयाल सैन (नेशनल यूथ अवॉर्डी, खेल एवं युवा कार्यक्रम. भारत सरकार),अजेय पारीक (केन्द्रीय सह मंत्री,विश्व हिन्दू परिषद्) और इंद्रेश कुमार जी (राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) को दी गई है।
प्रो. रजनीश शुक्ला ने की थी स्कूल ऑफ राम की स्थापना
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वैदिक विज्ञान केंद्र के शोधार्थी रहे प्रिंस तिवाड़ी ने बताया कि यूजीसी या संस्कृति मंत्रालय से सर्टिफिकेट कोर्स को शुरू करने के लिए अभी तक मान्यता नहीं मिली है। इसके लिए प्रयास जारी है। उन्होंने बताया कि 24 मार्च को अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ला ने स्कूल ऑफ राम की स्थापना की थी।
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