अब कैंसर मरीजों को नहीं होगा दर्द:BHU ने ढूंढा बिना साइड इफेक्ट वाला पेन किलर; कीमोथेरेपी के दौरान होने वाले दर्द में मिलेगी राहत

वाराणसीएक वर्ष पहले
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वाराणसी के IMS-BHU और IIT-BHU का इंटरनेशनल जर्नल लाइफ साइंस में एक रिव्यू आर्टिकल पब्लिश हुआ है। इसमें बताया गया है कि कैंसर मरीजों को दर्द से छुटकारा दिलाने वाले जीन की पहचान हो गई है। - Dainik Bhaskar
वाराणसी के IMS-BHU और IIT-BHU का इंटरनेशनल जर्नल लाइफ साइंस में एक रिव्यू आर्टिकल पब्लिश हुआ है। इसमें बताया गया है कि कैंसर मरीजों को दर्द से छुटकारा दिलाने वाले जीन की पहचान हो गई है।

वाराणसी के IMS-BHU और IIT-BHU का इंटरनेशनल जर्नल लाइफ साइंस में एक रिव्यू आर्टिकल पब्लिश हुआ है। इसमें बताया गया है कि कैंसर मरीजों को दर्द से छुटकारा दिलाने वाले जीन की पहचान हो गई है। वहीं कीमोथेरेपी के दौरान जो दर्द होता है, उसे नेचुरली (बिना दवा) जीनोमिक ट्रीटमेंट से कम किया जा सकता है।

बिना किसी साइड इफेक्ट के यह मरीजों को काफी राहत दे सकता है। दुनिया भर में हुए रिसर्च पर स्टडी कर BHU ने एक निष्कर्ष निकाला है। इसमें बताया है कि कैंसर से जो दर्द उठता है उसके लिए जिम्मेदार कारक जीन के एक्सप्रेशन को कम करके यह काम किया जा सकता है।

डॉ. निमिषा वर्मा, IMS-BHU, वाराणसी।
डॉ. निमिषा वर्मा, IMS-BHU, वाराणसी।

कीमोथेरेपी के बाद दवा भी नहीं कम कर पाती दर्द

IMS-BHU में एनेस्थिसियोलॉजी डिपार्टमेंट की डॉ. निमिषा वर्मा और IIT-BHU स्थित फार्मास्यूटिकल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. विनोद तिवारी ने मिलकर यह रिव्यू आर्टिकल प्रकाशित कराया है। इन्होंने बताया कि कीमोथेरेपी देने के बाद भी करीब 68% लोगों में दर्द की शिकायत रहती है। कीमोथेरेपी से राहत देने वाली दवा भी असरकारी नहीं रह जाती है।

डॉ. विनोद तिवारी, IIT-BHU, वाराणसी।
डॉ. विनोद तिवारी, IIT-BHU, वाराणसी।

TRPV-1 जीन को कम करके मिलेगी राहत
इस रिव्यू रिसर्च में बताया गया है कि शरीर की कोशिका में एक जीन TRPV-1 मौजूद होता है। इसकी अधिकता से यह दर्द उठता है। अगर इसे थोड़ा कम कर दिया जाए, तो दर्द से बचा जा सकता है। साइलेंट RNA ऐसा जीन है, जो कि TRPV-1 के एक्सप्रेशन की मात्रा को कम कर देता है। इससे व्यक्ति को दर्द से निजात मिल जाती है। यह जीन कैंसर में दर्द निवारक का काम करेगा। डॉ. तिवारी ने कहा कि कैंसर के मरीजों को काफी खतरनाक दर्द झेलना पड़ा है। इस रोग का इलाज भी काफी तकलीफ देने वाला होता है। ऐसे में यह तकनीक कैंसर रोगियों को राहत देने की दिशा में काफी मददगार हो सकेगी।

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