5 फरवरी को संत रविदास जयंती है। वाराणसी स्थित उनकी जन्म स्थली पर जयंती समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं। पंजाब के जालंधर से पहरेदारों का पहला जत्था काशी पहुंच चुका है। ये लोग संत रविदास जयंती समारोह की सुरक्षा कमान को संभालेंगे। सेवादारों का दूसरा जत्था 26 जनवरी की शाम को पहुंचेगा।
BHU के पास सीर गोवर्धनपुर स्थित रविदास जन्मस्थली के इर्द-गिर्द 3 किलोमीटर का एरिया मिनी जालंधर का रूप ले रहा है। वहीं, एक टेंट सिटी भी बन रहा है। इसका नाम बेगमपुरा रखा गया है। जयंती के आयोजकों का कहना है कि इस बार गेस्ट में राष्ट्रपति द्रौपर्दी ममु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव समेत कई नेता आ सकते हैं। मंदिर कमेटी द्वारा देश की कई प्रमुख हस्तियों औश्र नेताओं को इनवाइट किया गया है।
जयंती का उत्सव करीब 7 दिनों तक रहता है। 8-10 लाख भक्त यहां पर आते हैं। उनके खाने और रहने की उत्तम व्यवस्था होती है। रविदास जयंती पर आने वाले रैदासियों के रुकने की व्यवस्था मंदिर प्रशासन द्वारा की जाती है। मंदिर के आसपास के क्षेत्र में तंबुओं का शहर बसाया जाता है, जिसे लोग बेगमपुरा कहते हैं। सबसे ज्यादा रैदासी पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र से आते हैं। मंदिर के आसपास 70 पंडाल बनाए जा रहे हैं। एक पंडाल बनाने में 500 मीटर कपड़ा और 300 बांस लग रहे हैं। यहां पर लंगर छकने, अस्पताल, प्रशासनिक व्यवस्था से लेकर कई जरूरी विभाग होते हैं।
वाराणसी पहुंचा लंगर का स्टॉक
संत रविदास जयंती पर वाराणसी में विशाल लंगर शुरू हो रहा है। भोजन तैयार कराने की पूरी जिम्मेदारी मंदिर ट्रस्ट की है। लंगर के लिए भोजन सामग्री जालंधर पहुंच चुका है। इसमें 400 टीन रिफाइंड, 350 डिब्बा वनस्पति घी, 300 बोरी दाल, 50 बोरी दूध, 30 बोरी बेसन, 1 क्विंटल चाय पत्ती, 30 क्विंटल मसाला, गेहूं और चावल भरपूर मात्रा में स्टोर रूम में रखवा दी गई है।
VVIP के साथ रैदासियों का भी ध्यान
वाराणसी जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने सभी विभागों के अधिकारियों से साथ बैठक करके जयंती समारोह की तैयारियों की समीक्षा कर ली है। जयंती समारोह में आने वाले VVIP और रैदासियों की सुरक्षा व्यवस्था से लेकर टॉयलेट, पेयजल, पुलिस चौकी और साफ-सफाई पर भी संबंधित विभागाें को निर्देश दे दिया गया है।
22 साल से नियमित मनाई जा रही जयंती
आयोजकों ने बताया कि आज से करीब 60 साल पहले पंजाब के डेरा सचखंड बल्लन के संत सरवन दास ने अपने कार्यकाल में संत रविदास स्मारक बनवाया था। डेरा की ओर से सीरगोवर्धनपुर में जमीन खरीदी गई। 1965 में संत रविदास मंदिर का काम शुरू हुआ और साल 2000 से संत की जयंती नियमित मनाई जाने लगी। संत रविदास के मंदिर में उनकी प्राचीन कठौती और पानी में तैरने वाला पत्थर भी रखा हुआ है।
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