जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है, वैसे-वैसे गर्म कपड़ों की डिमांड भी बढ़ने लगी है। भारत और तिब्बत के रिश्ते में मिठास भी बढ़ने लगी है। सर्दी के दस्तक देते ही ऊनी कपड़ों का बाजार भी गर्म होने लगा है। शहर के कई स्थानों पर गर्म कपड़ों की दुकानें सज गयी है। बेनियाबाग, सिगरा के नटराज सिनेमा ग्राउंड में तिब्बती मार्केट, मैदागिन समेत कई जगह ऊलेन कपड़ों की स्थायी व अस्थायी दुकानें लग गई हैं। बाजार में गर्म कपड़ों के खरीदारों की भीड़ नजर आ रही है, लेकिन इस सीजन में गर्म कपड़ों में महंगाई भी देखने को मिल रही है। इस सीजन में जैकेट, मफलर, टोपी, दास्ताने, गर्म शॉल के दाम में 10 फीसदी का इजाफा बाजार में देखने को मिल रहा है। दुकानदारों का कहना है कि पेट्रोल मालभाड़ा व लेबरकास्ट बढ़ने का असर गर्म कपड़ों पर पड़ रहा है।
क्या कहते हैं कारोबारी
गारमेंट्स कारोबारी रंजीत, अशोक आदि का कहना है कि बिहार के कारीगर अब दूसरे राज्यों में काम करने नहीं जा रहे है, इसका असर भी बाजार पर पड़ रहा है। पिछले साल बाजार में जो जैकेट 5 से 7 सौ रुपए बिक रहे थे वह अब 8 सौ से एक हजार रुपए में बिक रहे हैं। इसी तरह वुलेन स्वेटर, गर्म शॉल, इनर, मफलर, दास्ताने, टोपी, स्कार्फ पर भी देखने को मिल रहा है। कारोबारियों का कहना है कि दाम बढ़ने के बावजूद पिछले साल सीजन में करीब 80 करोड़ का कारोबार हुआ था, इस बार उससे अधिक कारोबार होने की उम्मीद जताई जा रही है।
आस्ट्रेलिया से वाराणसी में ऊन का निर्यात
95 फीसदी से अधिक ऊन आस्ट्रेलिया से यहां के बाजार में आते है। डालर के मुकाबले रुपए में आई गिरावट के चलते ऊन के दामों में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसके अलावा लेबर कास्ट व मालभाड़ा बढ़ने की वजह से भी दाम पर असर पड़ा है। ऊन के दाम बढ़ने की वजह से ब्रांडेड कंपनियों के अलावा लोकल कंपनियों ने स्वेटर, शॉल, मफलर, जैकेट के दाम में करीब 15 फीसदी का इजाफा कर दिया है।
एक्साइज समाप्त होने के बाद भी नहीं पड़ा असर
एक्साइज ड्यूटी के खिलाफ कपड़े के कारोबारियों ने काफी दिनों तक आंदोलन किए। काफी जद्दोजहद के बाद केन्द्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी को समाप्त कर होजरी पर लगा दिया। इसका विरोध जब होजरी कारोबारियों ने तो सरकार ने एक्साइज ड्यूटी को समाप्त कर दिया। एक्साइज ड्यूटी समाप्त होने पर कारोबारी गर्म कपड़ों के दाम कम करने की तैयारी कर ही रहे थे कि डॉलर की बढ़ती कीमतों ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी है। अन्य देशों से माल मंगाना काफी भारी पड़ रहा है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.