पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश की वजह से वाराणसी में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। वाराणसी में 8 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गंगा का जलस्तर बढ़ने की वजह से अर्धचंद्राकार दिखने वाले 84 घाटों का संपर्क एक-दूसरे से टूट गया है। रविवार की दोपहर 2 बजे वाराणसी में गंगा का जलस्तर 64.76 मीटर दर्ज किया गया। वाराणसी में गंगा का चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर और खतरे का निशान 71.26 मीटर है। गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए जल पुलिस और NDRF की 11वीं वाहिनी के जवान अलर्ट मोड में है।
हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह का स्थान बदला
गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह का परंपरागत स्थान बदल गया है। पहले जो शव सीढ़ियों के नीचे जलते थे अब वह दोनों घाटों पर ऊपर जलाए जा रहे हैं। जलस्तर ज्यादा बढ़ेगा तो चिताएं और ऊपर जलाई जाएंगी। हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह कराने वाले डोम राजा परिवार के ओंकार चौधरी ने बताया कि अभी जलस्तर और तेजी से बढ़ेगा। पानी जैसे-जैसे बढ़ता जाता है शवदाह उसी के अनुरूप ऊंचाई वाले स्थान पर किया जाता है।
गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का उत्साह बरकरार
सावन के महीने में श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के लिए जो भी श्रद्धालु वाराणसी आते हैं वह राजेंद्र प्रसाद घाट और शीतला घाट सहित आसपास के अन्य गंगा घाटों पर स्नान जरूर करते हैं। रविवार को भी श्रद्धालुओं का गंगा स्नान जारी रहा। हालांकि दशाश्वमेध घाट स्थित जल पुलिस चौकी से लोगों को लगातार आगाह किया जा रहा है कि वो गहरे पानी में न जाएं। एसीपी दशाश्वमेध अवधेश कुमार पांडेय ने बताया कि प्रमुख गंगा घाटों पर पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है।
नदियों किनारे रहने वाले किए गए एलर्ट
वाराणसी में गंगा, वरुणा और गोमती नदी के किनारे रहने वालों को बाढ़ के मद्देनजर जिला प्रशासन की ओर से एलर्ट किया गया है। जिले में बाढ़ प्रभावित के तौर पर 206 गांव चिह्नित हैं। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि चिह्नित गांवों में पशुओं के लिए चारा और टीका की व्यवस्था कराई गई है। जिले में 62 बाढ़ चौकियां बनाई जा रही हैं। कोविड-19 को देखते हुए यह चौकियां नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों के संपर्क में रहेंगी। बाढ़ प्रभावित गांवों के लोगों को आपदा प्रबंधन की भी जानकारी दी जा रही है।
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