शरीर संचालन योग का वो द्वार है, जो सभी के लिए सदैव खुला है। शरीर संचालन का तात्पर्य शरीर के विभिन्न अंगों, जोड़ों व रीढ़ को थोड़ा-बहुत हिलाने-डुलाने से है। इसकी तरक़ीब आसान है और यह बहुत अधिक नियमों से बंधा हुआ भी नहीं है। यही कारण है कि इसे बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग तक सभी कर सकते हैं। सामान्यत: इसे प्रात: काल करना चाहिए। लेकिन यदि लंबे समय तक काम करने से शरीर में खिंचाव व थकान महसूस कर रहे हैं तो तत्काल जोड़ संचालन भी कर सकते हैं। इसे करने के लिए मात्र 5-7 मिनट देना होंगे।
नेत्र संचालन
अंग संचालन में नेत्र संचालन सभी को करना चाहिए। जिनका स्क्रीन टाइम अधिक है व दिनभर लैपटॉप पर काम करते हैं, उनके लिए तो नेत्र संचालन बहुत ज़रूरी है। नेत्र संचालन के लिए दोनों आंखों की पुतलियों को पहले ऊपर की ओर ले जाएं, फिर बीच में लाकर रुकें और फिर नीचे की ओर देखें। इस प्रक्रिया को 15-20 बार करें। आंखों की पुतलियों को दाएं से बाएं और बाएं से दाएं की ओर घुमाएं। इसे भी 10-10 बार करें। नेत्र संचालन की संपूर्ण प्रक्रिया को सुखासन में बैठकर करें। नेत्र संचालन के नियमित अभ्यास से न सिर्फ़ आंखों की रोशनी विकसित होती है, बल्कि तिर्यक दृष्टि व मुंह के लकवे की समस्या में भी यह परिणामकारक है।
जोड़ संचालन
पैरों की उंगलियों से लेकर सिर तक शरीर के सभी जोड़ों का संचालन करें। उदाहरण के लिए पैरों की उंगलियों को अपनी जगह पर ही थोड़ा-बहुत हिलाएं। फिर उन्हें ऊपर-नीचे करें। दाईं से बाईं और बाईं से दाईं की ओर घुमाएं। ऐसा 15-20 बार करें। समान प्रक्रिया को गर्दन, घुटने व हाथों के जोड़ अर्थात कलाई, उंगलियों, कंधे से भी करें। शरीर संचालन को बैठकर, लेट कर या खड़े होकर, जिस भी अवस्था में यह आपको सुविधाजनक लगे, उस स्थिति में करें। श्वास गति सामान्य रखें व ध्यान उस जोड़ पर केंद्रित करें, जिसका संचालन कर रहे हैं।
रीढ़ संचालन
सीधे खड़े होकर रीढ़ को आगे-पीछे झुकाएं व दाएं-बाएं मोड़ें। आगे-पीछे झुकते वक़्त अपनी क्षमता का ध्यान अवश्य रखें। जितना झुक सकते हैं, उतना ही झुकें। प्रतिदिन रीढ़ संचालन करने से रीढ़ के लचीलेपन में अपने आप वृद्धि होने लगेगी। दाएं-बाएं रीढ़ को मोड़ते वक़्त एक हाथ कमर या जांघ पर भी रख सकते हैं। ऐसा करने से शरीर का वज़न संभल जाएगा। कमर को धीमी गति में दाएं-बाएं, दोनों तरफ़ से वृत्ताकार घुमाना भी रीढ़ संचालन का ही हिस्सा है। इस प्रक्रिया को 30 बार करें। सांस की गति सामान्य ही रखें। यदि खड़े होकर रीढ़ संचालन करने में असमर्थ हैं तो ज़मीन पर पीठ के बल सीधे लेटकर भी कर सकते हैं। पीठ के बल लेटने के बाद हाथों की सहायता लेते हुए उठ जाएं, फिर लेटें। यदि हाथों के सहारे उठने में भी दिक़्क़त होती है तो पैरों को मोड़ते हुए उठ बैठें। 15-20 बार बैठने-लेटने की क्रिया करें। लेटकर ही कमर से ऊपर वाले हिस्से को दाएं-बाएं बारी-बारी से झुकाएं। इस प्रक्रिया को 15-20 बार करें। ध्यान श्वास पर केंद्रित करें।
शरीर संचालन के फ़ायदे
अनिद्रा, अवसाद, उच्च रक्तचाप, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, मधुमेह, नाड़ियों में शिथिलता, पेट संबंधी व मेनोपॉज के दौरान हार्मोनल परिवर्तनों से उत्पन्न समस्याओं से राहत पाने के लिए शरीर संचालन बेहद कारगर उपाय है। अन्य किसी बीमारी से ग्रस्त लोग भी इसे आसानी से कर सकते हैं, सेहत पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। रीढ़ व जोड़ों की मज़बूती के लिए इसे नित्य क्रिया में अवश्य शामिल करें।
योग को आसान बनाने के लिए इन उपायों पर ग़ौर फरमाएं ...
सर्वांगासन शरीर के लिए बेहद लाभदायक है लेकिन यदि आप इसे नहीं कर पाते हैं तो दीवार की सहायता ले सकते हैं। पैरों को दीवार से टिकाकर सर्वांगासन करें।
चक्रासन पेट की चर्बी कम करने में प्रभावशाली है। लेकिन यदि इसे करते हुए आप संतुलन नहीं बना पाते हैं तो अर्द्ध चंद्रासन अच्छा विकल्प रहेगा।
पद्मासन के स्थान पर आप सुखासन कर सकते हैं। सुखासन अर्थात रीढ़ को सीधा रखकर सामान्य आलती-पालती मारकर बैठना।
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