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त्योहार:मकर संक्रांति से उत्तरायण होगा सूर्य, धूप हर बीमारी को करेगा दूर

डॉ. शिराली रूनवाल3 महीने पहले
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  • सर्दियों में धूप कम मिल पाती है। कोहरे और बादलों की वजह से इसका असर हल्का हो जाता है। पर मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होगा, यानी कि धूप मिलेगी। सर्दियों में धूप की गर्माहट मिलना ज़रूरी है, क्योंकि हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य इस पर भी निर्भर करता है।

हमारी सेहत और शारीरिक विकास में सूर्य के प्रकाश की अहम भूमिका है। पहले के समय में सूर्य स्नान को एक तरह का योग माना जाता था, जो कि सेहत के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद सिद्ध होता है। आयुर्वेद में सनबाथ को ‘आतप सेवन’ नाम से जाना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन से सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण हो रहे हैं। सूर्य देव हमारी यानी पृथ्वी की ओर हो जाते हैं। इसके कारण सूर्य नारायण पृथ्वी के निकट आने लगते हैं, सर्दी कम होने लगती है और गर्मी बढ़ने लगती है। कहते हैं इस समय की धूप हमारी सेहत के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद होती है।

शरीर में गर्मी पैदा करने के साथ-साथ धूप आपके लिए कितनी ज़रूरी है, इस आलेख में जानिए...

विटामिन-डी का होता है उत्पादन

यह सब जानते हैं कि हमारे शरीर में विटामिन-डी का उत्पादन सूरज की किरणों की सहायता से होता है। विटामिन-डी हड्डियों और दांतों को मज़बूती देता है, प्रतिरक्षा प्रणाली को सहारा देता है, डिमेंशिया और सांस संबंधी बीमारियों से बचाता है।

धूप है प्राकृतिक इम्यूनिटी बूस्टर

सूरज की रोशनी में ऐसे चमत्कारी गुण होते हैं जिनके कारण शरीर पर विभिन्न प्रकार के संक्रमण के असर की आशंका कम हो जाती है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है। धूप के सेवन से शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं का पर्याप्त निर्माण होता है, जो रोग पैदा करने वाले कारकों से लड़ने का काम करती हैं।

कॉर्टिसोल का स्तर रहता है नियंत्रित

कोर्टिसोल हॉर्मोन को स्ट्रेस हॉर्मोन भी कहते हैं। जब शरीर में इसका स्तर बढ़ने लगता है तो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। ब्लड शुगर और मेटाबॉलिज़्म अनियंत्रित हो सकता है। तनाव के समय स्रावित स्ट्रेस हॉर्मोन ‘कॉर्टिसोल’ आपकी भूख को बढ़ा सकता है और कॉर्टिसोल के बढ़े हुए स्तर से वज़न में भी वृद्धि होती है। इसी स्ट्रेस हॉर्मोन को नियंत्रित करने में सूर्य के प्रकाश की अहम भूमिका है।

उच्च रक्तचाप को करती है कम

सूरज की रोशनी के संपर्क में आने से शरीर के नाइट्रिक ऑक्साइड के भंडार रक्तप्रवाह में निकलते हैं, जिससे रक्त वाहिकाओं के विस्तार के कारण रक्तचाप कम हो जाता है। साथ ही सूरज की रोशनी दिल की बीमारियों के ख़तरे को कम कर सकती है।

कैंसर से लड़ने में सक्षम

अगर सही तरीक़े से धूप ली जाए तो ये कैंसर जैसी बीमारी को भी रोक सकती है। शोध के मुताबिक़ विटामिन-डी की कमी के कारण ब्लड कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा इसकी कमी से कई तरह के कैंसर जैसे फेफड़े, स्तन, कोलोरेक्टल, डिम्बग्रंथि, अग्नाशय और एसोफैगस कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है। प्रारंभिक अध्ययनों के अनुसार, सूर्य के प्रकाश की कमी से पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का ख़तरा बढ़ सकता है। इनमें पुरुषों में बढ़ती उम्र के साथ होने वाला प्रोस्टेट कैंसर प्रमुख है।

नींद नहीं आने की समस्या होती है दूर

धूप में बैठने के बाद नींद आपने भी महसूस की होगी। दरअसल धूप का सीधा असर हमारी पीनियल ग्रंथि पर होता है। यह ग्रंथि शरीर में मेलाटोनिन नाम का हॉर्मोन बनाती है, जो कि नींद की गुणवत्ता को बेहतर करता है। इसलिए धूप सेकने से नींद न आने की समस्या दूर होती है।

अस्थमा से बचाती है धूप

वयस्कों और अनियंत्रित अस्थमा से पीड़ित बच्चों के रक्त में विटामिन-डी का स्तर स्वस्थ लोगों की तुलना में काफ़ी कम होता है। ऐसे में धूप में सिकाई करने से अस्थमा के लक्षणों में कमी आ सकती है। इसके लिए विटामिन-डी युक्त आहार के साथ-साथ बस कुछ वक़्त के लिए धूप में बैठना ही काफ़ी है।

अवसाद व मानसिक रोगों से बचाव

धूप उन लोगों की मदद कर सकती है जो अवसाद से जूझ रहे हैं। धूप कम निकलने के कारण सीज़नल अफेक्टिव डिसऑर्डर नाम का डिप्रेशन हो सकता है। यह आमतौर पर सर्दियों के मौसम में होता है। सर्दियों में धूप की कमी से शरीर की जैविक घड़ी प्रभावित होती है। विटामिन-डी सिरोटोनिन का उत्पादन करता है, जो मूड को नियमित करने वाला एक रसायन है। इसलिए जब पर्याप्त विटामिन-डी नहीं मिलता तो शरीर में सिरोटोनिन के स्तर में भी कमी आती है। ऐसे में सुस्ती महसूस होती है, बिना वजह मूड ख़राब रहता है। दस मिनट की धूप इससे राहत दे सकती है।

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