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कमाल की है दाल:इनमें केवल स्वाद नहीं है, बल्कि कई ऐसे पोषक तत्व भी हैं जो हमारी सेहत के लिए ज़रूरी हैं

डॉ. प्रिया भरमा4 महीने पहले
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दाल भारतीय भोजन का अनिवार्य हिस्सा है। तरह-तरह की दालें। इन्हें बनाना आसान है और खाने में भी हल्की होती हैं। सादी लगने वाली दालों में कई पोषक तत्व होते हैं जो हमारे शरीर के लिए ज़रूरी है। इनमें आयरन, जिंक, फोलेट, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम जैसे कई विटामिन, खनिज और प्रोटीन पाए जाते हैं। कई अध्ययनों के अनुसार, दालों से हमें चावल, गेहूं, जई, मक्का और जौ से 2-3 गुना अधिक प्रोटीन मिलता है। उदाहरण के लिए, आधा कटोरी दाल खाने से दो कटोरी चावल के बराबर प्रोटीन मिलेगा। किंतु दालों का लाभ हमारे शरीर को प्राप्त हो सके इसके लिए उन्हें भोजन के साथ सही अनुपात में खाना भी आवश्यक है। इसलिए जानिए इन्हें खाने का तरीक़ा और इनसे होने वाले फ़ायदे के बारे में।

पोषण पाने के तीन नियम...

पकाने से पहले भिगोकर अंकुरित करें

दालों में प्रोटीन, खनिज और विटामिन के अलावा कई प्रकार के एंटी-न्यूट्रिएंट्स (वो पोषक तत्व जो शरीर में आवश्यक न्यूट्रिएंट्स के अधिक अवशोषण को कम करते हैं) भी होते हैं। किंतु कई बार ये पोषक तत्व कई लोगों में सूजन, अपच और गैस का कारण बनते हैं। हमेशा दालों को पकाने से पहले भिगोएं और अंकुरित करें। इससे इनमें मौजूद अमीनो एसिड का बढ़िया अवशोषण होता है, एंटी-न्यूट्रिएंट्स कम होते हैं, प्रोटीन और माइक्रोन्यूट्रीएंट्स का असर बढ़ता है।

दाल का अनाज के साथ सही अनुपात हो

दालों को अनाज के साथ सही अनुपात में शामिल करके खाएं। दरअसल, दालों और फलियों में मिथियोनीन नाम के अमीनो एसिड की कमी होती है और अनाज में लाइसिन अमीनो एसिड की कमी होती है। लाइसिन दालों में मौजूद होता है, इसलिए अनाज के साथ सही अनुपात में दाल खाने से इसका भरपूर मात्रा में लाभ मिल पाता है। दाल को चावल के साथ खाते हैं तो इसका अनुपात 1:3 होना चाहिए। अगर बाजरे और अनाज के साथ मिलाकर खा रहे हैं तो इसका अनुपात 1:2 होना चाहिए। यानी एक हिस्सा दाल और दो हिस्सा अनाज।

हर हफ्ते पांच तरह की दालें/फलियां खाएं

विभिन्न दालों में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसलिए अलग-अलग प्रकार की दालें खाने से ही भरपूर मात्रा में पोषक तत्व मिलेंगे। इन्हें हफ्ते में कम से कम 5-6 बार बदल-बदलकर खाएं और महीने में 5-6 बार अलग-अलग तरह से खाएं। मसलन, दाल से इतर कभी दाल-चावल की खिचड़ी, इडली-सांभर, मूंगदाल की सब्ज़ी आदि बना सकते हैं। इसके अलावा इडली, डोसा, पापड़, हलवा, लड्‌डू, अचार आदि खाने से आंतों के लिए अच्छे जीवाणु मिलेंगे जो पाचनतंत्र को स्वस्थ रखेंगे।

दालें कई प्रकार की होती हैं... जैसे चना दाल, मूंग दाल, मसूर दाल, तुअर/अरहर दाल, उड़द दाल, राजमा, लोबिया, मोठ दाल, काला चना, काबुली चना, सोयाबीन, सूखी सफेद और हरी मटर। रोज़ कम से कम एक कटोरी दाल ज़रूर लें। हफ्ते में एक बार दो-तीन प्रकार की दालों को एक साथ मिलाकर भी बना सकते हैं। इन्हें सलाद, सैंडविच आदि में भी शामिल कर सकते हैं।

कई आहार में है अहम योगदान...

ग्लूटन-फ्री डाइट- इसमें उन खाद्यों का सेवन नहीं किया जाता जिसमें ग्लूटन पाया जाता है, जैसे कि मैदा या गेहूं। दाल में ग्लूटन नहीं होता है इसलिए यह सीलिएक रोग से पीड़ित लोगों के लिए अच्छा आहार माना गया है। सीलिएक रोग ग्लूटेन के प्रतिकूल प्रभाव के कारण होता है। यह पाचन से जुड़ी एक आम समस्या है, जिसमें छोटी आंत में सूजन आ जाती है और आंत पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाती है।

फ़ायदे भी जान लें...

मोटापे से राहत

दालें प्रोटीन और फाइबर से भरपूर और वसा में कम होती हैं। इसलिए इन्हें खाने के बाद लंबे समय तक भूख नहीं लगती। कई अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग अपने दैनिक जीवन में संतुलित मात्रा में दालों का उपयोग करते हैं उनका वज़न अन्य लोगों की तुलना में चार गुना अधिक कम हुआ है।

हृदय स्वस्थ रखे

दालें दिल के लिए स्वस्थ भोजन विकल्प हैं। ये रक्तचाप को कम करने, शरीर के वज़न को नियंत्रित रखने और कॉलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करती हैं। ये सभी हृदय रोग के जोखिम कारक हैं।

मधुमेह नियंत्रित करे मधुमेह के मरीज़

अगर रोज़ दालों का सेवन करते हैं तो उनके रक्त शर्करा और लिपिड प्रोफाइल में सुधार होगा है। उच्च फाइबर और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के कारण दालें मधुमेह रोगियों के लिए फ़ायदेमंद होती हैं। इनके पौष्टिक गुण संतुलित रक्त शर्करा और इंसुलिन के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं।

शाकाहारी खानपान

मांसाहारी खाद्य की तरह दालें प्रोटीन, विटामिन और मिनरल का बेहतरीन स्रोत हैं, जो शाकाहारी लोगों के लिए अच्छा विकल्प है। इनमें आठ आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं। चावल के साथ दाल का सेवन करने से इसके गुण बढ़ जाते हैं।