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स्व निखार:हमें सदा दूसरों की दशा अच्छी और ख़ुद की स्थिति बुरी लगती है, ऐसे विचारों से खुद को मुक्त करेंगे तो जिंदगी हल्की-फुल्की हो जाएगी

शिखर चंद जैन2 महीने पहले
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हवा में इठलाती, लहराती रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर मन में यह विचार आ सकता है कि काश! हमारी ज़िंदगी में भी इसी तरह की मस्ती, बेफ़िक्री और आनंद होता। ये तो इंसान की फितरत है कि उसे सदा दूसरों की दशा अच्छी और ख़ुद की स्थिति बुरी लगती है। पतंग के छोटे-से जीवन में भी उतार-चढ़ाव, अस्थिरता और अनिश्चितता जैसी तकलीफ़ें होती हैं। सच कहें, पतले काग़ज़ की बनी, छोटी-सी ज़िंदगी पाने वाली पतंग फिर भी मस्ती और आनंद में झूमती है क्योंकि- वह हर प्रकार के बोझ से मुक्त है, उसने अपनी ज़िंदगी को हवा से भी हल्का बना लिया है। तभी तो पल-पल कटने-फटने या नष्ट हो जाने का ख़तरा मंडराने के बावजूद वह ज़िंदादिली से जीती है।

आप भी अपना जीवन पतंग की तरह हल्का बना लें और अपने ऊपर लदे तमाम मानसिक या भौतिक बोझ उतार फेंकें तो मस्ती भरी ज़िंदगी जीने का आनंद ले सकते हैं। आप कहेंगे कि जीवन में बोझ या तनाव तो रहते ही हैं, उन्हें कैसे फेंकें?

ग़लत निर्णय का बोझ...

ज़िंदगी में हमें अनेक निर्णय लेने पड़ते हैं। कई बार ये ग़लत भी साबित हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए ज़िंदगीभर पछताने और दुखी रहने से कोई फ़ायदा नहीं होता। इसके बजाय उन अच्छे निर्णयों के लिए ख़ुद को सराहें, जिनके कारण आप आज यहां तक पहुंचे हैं। ध्यान रखें, ग़लत निर्णयों की संख्या कम और सही निर्णयों की अधिक होती है।

रिश्तों से अपेक्षाओं का बोझ...

कई लोग 24 घंटे इन्हीं बातों में उलझे रहते हैं कि फलां रिश्तेदार ने हमें शादी में ठीक से मान-सम्मान नहीं दिया, वहां से न्योता ढंग से नहीं आया, अमुक के घर गए तो सम्मान नहीं किया, खाने के लिए नहीं पूछा, ठीक से बात नहीं की, हम पर ध्यान नहीं दिया आदि। ध्यान रहे, अपेक्षाएं सिर्फ़ दुख-दर्द देती हैं, इसलिए ऐसी बातों पर ज़्यादा ध्यान न दें।

सोशल स्टेटस का बोझ...

कई लोग आमदनी न होने के बावजूद अपने पड़ोसी, मित्रों या रिश्तेदारों के बीच अपना रोब क़ायम रखने व उनकी बराबरी करने के लिए आए दिन महंगे घरेलू उपकरण, गैजेट्स, कपड़े आदि ख़रीदते हैं या फिर ज़रूरत न होने के बावजूद महंगा फ्लैट या कार ख़रीद डालते हैं। इसके बाद लोगों के क़र्ज़ या ईएमआई चुकाने में पूरी ज़िंदगी बिसूरते हुए गुज़ारते हैं। इसलिए उतने ही पैर पसारें जितनी बड़ी चादर हो।

दुनियाभर के कामों का बोझ...

कुछ लोगों की आदत होती है कि वे पूरी दुनिया का काम अपने सिर पर लाद लेते हैं। चाहे परिवार की बात हो या रिश्तेदार की अथवा दफ़्तर की, ऐसा लगता है जैसे हर किसी की मदद का ठेका उन्होंने ही ले रखा है। अगर आप भी इनमें से हैं, तो इस बोझ को इसी वक़्त उतार फेंकिए। उतना ही काम लीजिए, जिससे आपकी ज़िंदगी दूभर न हो।

कमाई से असंतोष का बोझ...

इच्छाएं और नींद कभी पूरी नहीं होतीं। यक़ीन मानिए दुनियाभर में आपको ऐसे लोग गिनती के मिलेंगे, जो अपनी आय से संतुष्ट रहते हैं। जैसा कि कहा गया है संतोषम् परम् सुखम्। ये ही लोग दुनिया के सबसे सुखी इंसान होते हैं। आप लगातार पैसा कमाने के पीछे भागती रहेंगे/रहेंगी, तो जो आपके पास मौजूद है उसका उपभोग कभी नहीं कर पाएंगे।

भविष्य की चिंता का बोझ...

कई लोग अच्छी कमाई, अच्छे जीवनसाथी, अच्छे व आज्ञाकारी बच्चों के होते हुए भी अचानक अवसाद के सागर में ग़ोते लगाने लगते हैं। जानते हैं क्यों? वे इस सोच में डूब जाते हैं कि कल को नौकरी छूट गई, जीवनसाथी को कुछ हो गया, बच्चे नालायक़ निकल गए तो क्या होगा?

सुखी रहना है तो वर्तमान में जिएं।

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