पॉश्चर क्या होता है?
पॉश्चर बैठने, खड़े होने, लेटने या वज़न उठाने, जैसी हर गतिविधि के दौरान शरीर की स्थिति है। इसको सही तब माना जाता है जब, शरीर की गतिविधियों के दौरान मददगार मांसपेशियों और लिगामेंट्स पर कम ज़ोर पड़े।
सही पॉश्चर मदद करता है
- हडि्डयों और जोड़ों के सही अलाइनमेंट में, ताकि पेशियों का अच्छा इस्तेमाल हो।
- जोड़ों की मांसपेशियों में क्षति रोकता है, ताकि अर्थराइटिस जैसे रोग न हों।
- रीढ़ की हड्डी के लिगामेंट्स पर दबाव पड़ने से बचाता है। पीठ दर्द और मांसपेशियों के दर्द को दूर रखता है। थकान से बचाता है क्योंकि मांसपेशियां बिना ज़ोर के काम करती हैं।
चलते समय ध्यान दें...
आपकी चाल से पंजों, पिंडलियों, जांघों और कूल्हों की मांसपेशियों पर ज़ोर नहीं पड़ना चाहिए। हम अक्सर ऐसे चलते हैं, जिसमें पहले एड़ी ज़मीन पर आती है, फिर पंजा। ऐसी चाल के लिए पैरों के पास कोई शॉक अब्ज़ॉर्बर नहीं होता और घुटनों, पिंडलियों को लगातार झटके झेलने पड़ते हैं। ऐसी चाल में शरीर आगे और पीछे झुका भी रहता है, जो उचित नहीं होता। सही चाल के लिए पंजों को पहले ज़मीन पर पड़ना चाहिए ताकि पंजे का लचीला मध्य भाग और पिंडलियां, फिर घुटने झटका सहन कर सकें। ऐसा तभी होगा, जब हम बिना झुके, सीधे चलेंगे।
खड़े होने का सही ढंग
शरीर का वज़न दोनों पैरों पर बराबर संतुलन से पड़े, रीढ़ की हड्डी सीधी और कंधे पीछे रहें। सिर सीधा उठा हुआ हो। यह खड़े होने का सही पॉश्चर है।
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