मेडिकल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में दवा प्रतिरोधी इंफेक्शन अब मौतों का बड़ा कारण बन गया है। 2019 में दवाइयों को बेअसर करने वाले इंफेक्शन से 13 लाख मौतें हुई थीं। ऐसी सबसे अधिक मौतें अफ्रीका में (प्रति एक लाख पर 24) हुई। दक्षिण एशिया में प्रति एक लाख पर मौतों की संख्या 22 रही। अंधाधुध उपयोग के कारण ये दवाएं इंफेक्शन के शिकार बहुत लोगों पर असर नहीं करती हैं। लैन्सेट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशिया में दुनिया की 25 फीसदी एंटीबॉयोटिक्स का उपयोग होता है। विश्व में एंटीबायोटिक्स दवाओं का सबसे अधिक मानवीय उपयोग भारत में होता है। भारतीय मेडिकल काउंसिल की कामिनी वालिया का कहना है, एंटीबायोटिक्स का एक कोर्स 50 रुपए तक में हो जाता है। कई डॉक्टर बिना सोचे-समझे एंटीबायोटिक दवाइयां लिखते हैं। कोविड-19 महामारी से स्थिति और अधिक बदतर हुई है क्योंकि लोगों को गलतफहमी है कि एंटीबायोटिक्स से वायरस का इलाज संभव है। इससे बैक्टीरिया संक्रमण का उपचार होता है लेकिन वायरस का नहीं। मेकगिल यूनिवर्सिटी, कनाडा की ज्यार्जिया सुलिस की टीम की नई स्टडी में गौर किया गया कि भारत में कैसे कोविड-19 की पहली लहर के दौरान एंटीबायोटिक्स की बिक्री बढ़ी है। अनुमान है, भारतीयों ने एंटीबायोटिक्स की 24 करोड़ 60 लाख अधिक डोज का सेवन किया है।
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