अरब देशों में लड़कों के मुकाबले लड़कियों के स्कूल जाने की संभावना कम रहती है। लेकिन, वे पढ़ाई के मामले में लड़कों से आगे हैं। दुनिया में किसी अन्य जगह ऐसी स्थिति नहीं है। महिलाओं को दबाने के साथ स्कूली पढ़ाई में लड़कों की कमजोरी से अरब देशों की अर्थव्यवस्था पीछे जा रही है। वैसे, अंतरराष्ट्रीय टेस्ट में अरब देशों के लड़के और लड़कियों-दोनों का प्रदर्शन अच्छा नहीं है।
विश्व बैंक का कहना है कि मध्य पूर्व और उत्तर अफ्रीका में दस साल के दो तिहाई लड़के सामान्य कहानी नहीं पढ़ सकते हैं। इसके मुकाबले केवल आधी लड़कियां ऐसा नहीं कर पाती हैं। 2019 में 40 देशों में हुए 12 वर्ष के छात्रों के इंटरनेशनल टेस्ट के अनुसार साइंस में लड़के और लड़कियों के स्तर में सबसे अधिक अंतर आठ अरब देशों के स्कूलों में पाया गया है। अधिकतर अमीर देशों के समूह ओईसीडी द्वारा 15 वर्ष आयु वर्ग के लिए हर तीन साल में कराए जाने वाले टेस्ट में अरब लड़कियों ने लड़कों को पीछे छोड़ा है।
लड़के और लड़कियों की अलग शिक्षा से भी समस्या है। अरब देशों खासकर खाड़ी में लड़के, लड़कियां अलग-अलग स्कूलों में पढ़ते हैं। लड़कों के स्कूलों के लिए शिक्षक बमुश्किल मिलते हैं। सऊदी अरब में एक अधिकारी ने बताया, लड़कियों के स्कूल में शिक्षिका की नौकरी के लिए दस अर्जियां आसानी से आ जाएंगी। लड़कों के स्कूल के लिए तीन या चार अर्जियां ही आती हैं। खाड़ी देशों में पुरुष अधिक पैसा और प्रतिष्ठा पाने के लिए सेना या पुलिस में जाते हैं।
केवल 20 प्रतिशत महिलाओं के पास जॉब
स्कूल में अव्वल नंबर पाने के बावजूद महिलाओं के लिए नौकरियों और काम के अवसर नहीं हैं। मध्य पूर्व और उत्तर अफ्रीका में केवल 20% महिलाओं के पास जॉब हैं। क्षेत्र से बाहर हुई रिसर्च बताती है कि कम शिक्षित पुरुष के महिलाओं को हेय दृष्टि से देखने और उनसे बदसलूकी की अधिक संभावना रहती है।
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