1842 में ब्रिटिश समाज सुधारक एडविन चैडविक ने मजदूरों के बीच स्वच्छता की स्थिति पर एक िरपोर्ट पेश की थी। उन्होंने दर्शाया कि सफाई कम होने का संबंध खराब सेहत से है। इसके बाद ब्रिटेन के शहरों में साफ पानी, सीवेज सिस्टम जैसी सुविधाओं की शुरुआत हुई थी। बीसवीं सदी में दुनिया में खाने-पीनेे की चीजों और बाहरी हवा प्रदूषण को बेहतर बनाने जैसे सुधार हुए। कोरोना वायरस महामारी ने इनडोर हवा की स्वच्छता को स्वास्थ्य की नई प्राथमिकता बना दिया है। कोरोना वायरस महामारी पर लैंसेट कमीशन के अनुसार स्कूलों में वेंटिलेशन की स्थिति ठीक नहीं है।
100 अमेरिकी क्लास रूम की स्टडी में पाया गया कि 87 में वेंटिलेशन बहुत कमजोर है। डेनमार्क, फ्रांस,इटली, नार्वे और स्वीडन में शोधकर्ताओं ने पाया कि 66% क्लासरूम में इनडोर एयर क्वालिटी स्वास्थ्य के मापदंडों से नीचे है। अमेरिका में 13 में से एक बच्चे का दमा है। यह स्कूलों में पाए जाने वाले एलर्जेन से होता है। समस्या क्लासरूम तक सीमित नहीं है। कई लोग अपना 90% समय इनडोर बिताते हैं।
शोधकर्ताओं ने इमारतों में हवा की आवाजाही के कमजोर इंतजाम को सिरदर्द, थकान, सांस लेने में तकलीफ,कफ, सुस्ती और आंख, नाक, गले, त्वचा में जलन जैसी समस्याओं से जोड़ा है। कमजोर वेंटिलेशन का संबंध काम से अधिक गैरहाजिरी, कम उत्पादकता और दमा से भी है। महामारी ने इस मामले को प्राथमिकता में शामिल कर दिया है। सरकारें खाने-पीने के सामान की स्वच्छता के समान बिल्डिंग के लिए वेंटिलेशन प्रमाणपत्र को अनिवार्य बना सकती हैं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.