बीते कुछ साल में मुझमें बदलाव आए हैं। ये बदलाव वो हैं, जिनकी मुझे तलाश थी। मुझे कुछ फैसले लेने पड़े, जिससे मैं खुद को गहराई से जान पाई। अपनी फिल्म कंपनी ‘क्लीन स्लेट फिल्म्स’ से हाथ खींचने का फैसला आसान नहीं था। मैंने इसे शुरू किया था, बड़ा बनाया था। मेरा एक नजरिया था, और आज कंपनी जहां है, मुझे गर्व है। यह फैसला मुझे अपनी जिंदगी का संतुलन बनाने को करना ही था। दिमागी रूप से मैं शांति चाहती थी। कुछ मायने नहीं रखता, जब आप अच्छा महसूस नहीं कर रहे हों। मैं मानसिक सेहत पर हमेशा से जोर देती हूं, तब से जब इस पर कोई बात भी नहीं करता था।
कई साल पहले मैंने एक दफा किसी इंटरव्यू में कहा भी था कि मैं वो काम करना नहीं चाहूंगी, जो मुझे मानसिक शांति प्रदान नहीं कर सकता। इस बात को इंटरव्यू लेने वाले समझ नहीं पाए थे। लेकिन आज, हर कोई यह समझता है। उस समय मुझे इंडस्ट्री में केवल पांच साल हुए थे, फिर भी मुझे पता था कि मेरे लिए सही फैसले क्या होंगे।
महिलाओं के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस मुश्किल होता है। मुझे नहीं लगता कि लोग इस बात को समझते हैं कि कामकाजी मां की जिंदगी और उसकी भावनाएं क्या होती हैं, क्यों यह दुनिया आज भी पुरुषों के राज में चल रही है। मैं महिला हूं, यह बात मैं मां बनने तक नहीं समझ पाई थी। आज मेरे दिल में महिलाओं के प्रति इज्जत कहीं ज्यादा है।
लोग उस गिल्ट को समझ नहीं सकते जिससे कामकाजी मां गुजरती है। महामारी के दौरान जब मैं ट्रेनिंग से लौटती, तो अपराधबोध होता था। वायरस घर लाने की रिस्क मैं नहीं लेना चाहती थी। मुझे वो बेचैनी याद है, जो मुझे बेटी से दूर रहने पर होती थी, क्योंकि तब उसे इसकी आदत नहीं थी।
मैं चाहती हूं महिलाओं को दफ्तरों में अधिक सहयोग मिले। महिलाओं को ऑफिस से एक साल की पेड लीव मिले, तो ही वो अपने बच्चे का ध्यान बिना गिल्ट के रख सकती हैं।
इंडस्ट्री में चूहा दौड़ है और आपको इसका हिस्सा बनना होता है। लेकिन मैं इस चूहा दौड़ में नहीं हूं। मैं जिंदगी का आनंद लेना चाहती हूं। काम का आनंद लेना चाहती हूं। मैं चाहती हूं क्रिएटिव लोगों से बात करूं, आइडिया शेयर करूं, दर्शकों के रिएक्शन जानूं। जब काम जीवन से आनंद छीनने लगे तो उससे कुछ समय के लिए दूर होना ठीक है। जिंदगी का आनंद गायब नहीं होना चाहिए, क्योंकि इसके बिना आप अच्छे से काम नहीं कर पाएंगे। (तमाम इंटरव्यूज में अनुष्का शर्मा)
‘लोगों की बातों से प्रभावित न होना भी बहादुरी है’
- किसी चूहा-दौड़ में न पड़ें, जीवन का आनंद लेंगे, तभी अच्छा कर सकेंगे।
- बुरा काम करने से अच्छा है मैं खुद को एक कमरे में छह महीने के लिए बंद कर लूं।
- लोग क्या बोल रहे हैं यह जानते हुए भी उससे प्रभावित न होना, यही बहादुरी है।
- आप मुझसे प्यार करें या नफरत, इससे फर्क नहीं पड़ता। मैं यही रहने वाली हूं।
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