एक कमरे के सरकारी मकान में मेरा बचपन बीता है। मां सरकारी अस्पताल में नर्स थीं और पिता एक प्राइवेट फर्म में सिक्योरिटी गार्ड। लोअर मिडिल क्लास परिवार में मेरी जिंदगी कभी आसान नहीं रही। बजट हमेशा टाइट रहता था, लेकिन मेरी मां कभी भी मुझे किसी चीज के लिए मना नहीं करती थी। मां और बहन अगर किसी बात पर डांटते थे तो मां ही मुझे उनसे बचाया करती थी।
2005 में जब मैं 16 साल का था तो एक हादसा हुआ। रसोई में लगी आग से मेरी मां बुरी तरह जल गईं। उन्हें बचाया नहीं जा सका। उस वक्त मैं घर पर नहीं था। क्रिकेट के सिलसिले में ही मैं बाहर था। जब लौटा तो इतना निराश हुआ कि तय कर लिया कि अब क्रिकेट नहीं खेलूंगा। लेकिन जल्द ही एक विचार ने मेरा मन बदल दिया... ‘मैं क्यों क्रिकेट खेलना छोड़ूं, मेरी मां ने मुझे क्रिकेटर बनाने के लिए इतना सब किया, उसके बाद तो मैं इसे नहीं छोड़ सकता’।
जब आप खुद से लड़ना सीख लेते हैं तो बाहरी कोई चीज आपको प्रभावित नहीं कर सकती। हम जब भी खराब खेलते हैं तो सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल होते हैं। लोग मेरे बारे में काफी-कुछ लिखते हैं। लेकिन क्या आपको लगता है कि अगर आप मेरे बारे में कुछ लिखेंगे तो मैं उसे याद रखूंगा? इसी तरह तारीफ से भी बचना आपको आना चाहिए। मेरे पिता ने मुझे एक ही सलाह आज तक दी, वो मैं हमेशा याद रखता हूं। उन्होंने मुझे चमचागिरी से आगाह करते हुए कहा था- ‘ग्राउंड में परफॉर्म करो, बस बात खतम’। उनके ‘बात खतम’ बोलने के अंदाज में मुझे वो अनुभव साफ दिखे जो पिता ने जिंदगी में देखे होंगे... फिसलना, गिरना, मिट जाना, वापसी करना, फिर उठ खड़े होना। इन सब अनुभवों का निचोड़ उन्होंने मुझे एक वाक्य में दिया। उन्होंने यही बात मुझे तब भी कही थी जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू ही किया था। वे बोले थे- अगर मैं मैदान में परफॉर्म करूंगा तो मुझे कभी किसी को खुश करने के लिए कोई और कोशिश नहीं करना होगी। इस बात ने मेरी जिंदगी सरल कर दी। आप भी कर सकते हैं। जिस भी फील्ड में आप हैं, वहां परफॉर्म करना शुरू कीजिए, शेष चीजें आपके पीछे अपने-आप आएंगी।
खुद को लगातार सुधारने की कोशिश करते रहें
कोई भी काम कीजिए, आपके बारे में राय बनाने वालों की लाइन लग जाएगी। वो आपसे लगातार कहेंगे कि ये तुम्हारी सीमा है, इससे आगे तुम नहीं जा सकते। ऐसा कहने वाले अक्सर एक मूल सिद्धांत भूल जाते हैं कि वक्त के साथ जब चीजें बेहतर होती जाती हैं तो इंसान बेहतर क्यों नहीं होगा? शुरुआत से अंत तक कोई भी एक-सा नहीं रह सकता। जब मैंने शुरू किया था तो मैं बेहद बुरा था। मैं खुद को लगातार सुधारने की कोशिश करता रहा तो बेहतर होता चला गया। मेरे बारे में लोगों की राय बदली है। अब वो कहने लगे हैं कि यही वो ऑलराउंडर है, जो भारत को चाहिए।
(तमाम सोशल मीडिया इंटरव्यूज में भारतीय क्रिकेटर रवींद्र जड़ेजा)
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