1) प्राथमिकताएं तय नहीं कर पाते हैं
ऐसा देखने में आता है कि बार-बार निर्णय लेने से स्वाभाविक रूप से ही हमारी निर्णयात्मक क्षमता कमजोर पड़ जाती है। जरूरी है कि आप जितनी जल्दी हो सके वो सभी निर्णय अलग कर लें, जो महत्वपूर्ण हैं। समय की प्राथमिकता तय करें। निर्णय उस वक्त लें, जिस वक्त आप अपने अंदर सबसे ज्यादा ऊर्जा महसूस करते हैं।
2) एक बार में कई काम करना चाहते हैं
शोध बताते हैं कि जब आप एक बार में दो ज्ञान-संबंधित कामों पर फोकस करते हैं तो आपकी 40 प्रतिशत निर्णयात्मक क्षमता घटती है। ध्यान रखें जब कभी आपको कोई बेहद जरूरी निर्णय लेने की जरूरत पड़ती है तो सबसे पहले उसके बारे में विचार करें और फिर पूरी प्रतिबद्धता के साथ वक्त निकालकर गहराई से फोकस करें।
3) भावनात्मक रूप से कमजोर पड़ जाते हैं
यदि आपको लगे कि आप भावनात्मक रूप से कमजोर पड़ सकते हैं, उस वक्त प्रतिक्रिया देने से बचें। जब संभव हो तब कंप्यूटर से कुछ देर के लिए दूरी बना लें या फोन को कुछ समय के लिए खुद से दूर कर दें। कुछ देर का ब्रेक लें और जब आपको लगे कि अब आप ज्यादा स्पष्ट सोच पा रहे हैं, शांत हैं तब किसी निर्णय पर पहुंचे।
4) समय सीमा तय नहीं कर पाते हैं
हम जितनी ज्यादा जानकारी लेने के बारे में सोचते हैं उतनी देर निर्णय तक पहुंचने में होती है। इसलिए केवल आपके काम की, बेहद जरूरी जानकारी हासिल करने के बारे में ही सोचें। निर्णय लेने के लिए एक समय सीमा तय करें और फिर उस समय सीमा का ख्याल रखते हुए ही आगे बढ़ें। जहां तक हो सके डेडलाइन को तोड़ें नहीं।
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