1) यह ना भूलें कि आप एक टीम का हिस्सा हैं
किसी भी बहस की शुरुआत एक तय लक्ष्य और पूरी उत्सुकता के साथ ही होनी चाहिए। इसके लिए शुरुआत में ही स्पष्ट कर दें कि लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए ही अपने विचार रखे जाएं। यह भी बताएं कि केवल उन्हीं विचारों का स्वागत किया जाएगा, जो लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सबके समक्ष रखे जाएंगे। इस बहस में सभी लोग बराबर के भागीदार होंगे। यह न भूलें कि सभी लोग एक टीम का हिस्सा हैं।
2) अपने लक्ष्य से फोकस नहीं हटना चाहिए
उत्पादकता के लिए बहुत जरूरी है कि बहस सही दिशा में आगे बढ़े। कौन ज्यादा जोर से बोलता है, कौन ज्यादा चिंतन करता है या कौन सही है, कौन गलत, बात केवल यहीं तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। तथ्य और व्याख्या के फर्क को समझना होगा। अगर आपको लगता है कि बहस किसी दूसरे ही विषय पर जाकर टिक गई है, जो कि अनावश्यक है, तो ठहरकर दोबारा शुरू कर सकते हैं।
3) व्यक्तिगत टिप्पणी करने से बचना जरूरी है
कोई भी बहस तब टूटने लगती है जब लोगों को लगता है कि उनके विचारों और व्यक्तित्व पर सीधे आक्रमण हो रहा है। अनुमान लगाने वालों से और नकारात्मक सवाल करने वालों से दूरी बनाएं। या फिर उनसे सवाल करें कि ‘आपको ऐसा क्यों लगा?’ या ‘क्या सोचकर आप इस नतीजे पर पहुंचे हैं?’ मानकर चलें कि सबकी नीयत अच्छी है। समूह को आगे ले जाने के लिए लोगों की तारीफ भी करें।
4) तारीफ करें, बौद्धिक विनम्रता अपनाएं
बहस को रचनात्मक और उत्पादक बनाने के लिए बहुत जरूरी है प्रतिभागियों का बौद्धिक रूप से विनम्र होना। इसका मतलब ये है कि किसी की बातों को व्यक्तिगत तौर पर नहीं लेना है। अगर आप किसी से असहमत हैं तो भी उनके विचार को सुनना और सम्मान करना है। या जब आपको लगे कि आप गलत हैं तो इस बात को स्वीकार करना है। अच्छे विचारों की खुश होकर तारीफ भी करना है।
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