1) जल्दबाजी में कोई निष्कर्ष न निकालें
हो सकता है आप सोच रहे हों कि आपके सहकर्मी ने सीधे बॉस के पास जाकर ठीक नहीं किया। उसे पहले आपसे बात करनी चाहिए थी या बॉस के पास आपको भी साथ लेकर जाना चाहिए था। ये भी संभव है कि आप इस स्थिति को गलत आंक रहे हों। केवल तथ्यों पर ध्यान दें। व्यर्थ के अंदाजे लगाकर जल्दबाजी में निर्णय न लें।
2) बॉस से पूछें कि सहकर्मी ने क्या कहा
अपने अनुमान लगाकर परेशान होने के बजाय अगर आपके पास कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, तो पहले खुद पता करें कि हुआ क्या है। आप चाहें तो बॉस के पास जाकर पूरे सम्मान के साथ, सहजता से पूछ सकते हैं कि आपके बारे में सहकर्मी ने उनसे क्या कहा है। ध्यान रहे किसी पर आरोप नहीं लगाना है और सम्मानपूर्वक बात करनी है।
3) सहकर्मी से बात करने का प्रयास करें
साथी से अकेले में बात करें। बातचीत शुरू करने से पहले खुद को याद दिलाएं कि चाहे जो हो, आपको खुले दिमाग से बात करनी है। पहले उनकी बात सुनना है, बाद में अपनी बात रखनी है। बातचीत के दौरान अंतिम लक्ष्य पर फोकस बनाए रखें, फिर चाहे वो विश्वास हासिल करना हो या अपने अधिकारों की रक्षा करना।
4) बॉस का विश्वास जीतने की कोशिश करें
सहकर्मी के संबंध ठीक हो जाएं तो अपने मैनेजर के साथ बैठें और उनसे भी बात करें। जो हुआ वो आखिर कैसे हुआ और क्यों हुआ, उन्हें पूरी बात बताएं। हो सके तो उन्हें इस बात का विश्वास दिलाएं कि इस तरह की परिस्थिति दोबारा पैदा नहीं होगी और जहां तक हो सकेगा सह कर्मियों की बातों को नजर अंदाज करेंगे।
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.