हार पचाना आसान होता है, लेकिन इसके लिए कोशिश आपको ही करना होती है। मैं एक्टर हूं और एथलीट रही हूं। जब आप कोई मैच हारते हैं, तो वो लंबे समय तक आपके दिमाग में चलता रहता है। बैडमिंटन में कितने अलग स्ट्रोक आपने लगाए, कहां आपने गलती की, कहां आप लीक से हट गए। ये ख्याल दिमाग में बने रहते हैं। ऐसा ही फिल्मों के साथ भी है। फिल्में भी मेरे दिमाग में रहती हैं, उनसे जुड़ा अनुभव साथ रहता है। सोचती हूं क्या मेरी अप्रोच ठीक थी या मैं इसे और अलग ढंग से कर सकती थी। इन विचारों का निचोड़ ही दरअसल अनुभव है। किसी भी असफलता का हासिल ये अनुभव होते हैं। इन्हीं के आधार पर आप अपने अगले फैसले लेते हैं और गलतियां न दोहराने की कोशिश करते हैं।
इन अनुभवों से इतर आप तभी जाते हैं, जब आपके अंदर की आवाज कुछ कहती है। आपका ‘गट’ आपको अक्सर उकसाता है। यह अंदरूनी आवाज ना हो तो आप शायद कुछ रिस्की करें ही ना। ये आवाज हमें यकीन दिलाती रहती है कि यही हमारे लिए सही है। इस आवाज को सुनकर आप कोई काम करते हैं तो हो सकता है कि आपको तुरंत परिणाम ना मिलें, लेकिन यह तय है कि रिजल्ट आएगा, फिर वो दो दिन बाद आए या 20 साल बाद। इस अंदर की आवाज को सुनना बेहद जरूरी है, फिर भले ही वो आपको गलत महसूस हो रही हो। इससे खुद को ट्यून कीजिए। आप सुनेंगे और उस राह पर चलेंगे तो अपने आप ही उसे बेहतर बनाने लगेंगे। सफलता एक बार आपको खुश ना करें, लेकिन अपने मन की आवाज के परिणाम आपको दुखी तो ना होने देंगे।
अगर भौतिक सफलता ही सबकुछ होती तो सुपरस्टार हमेशा खुश होते। लेकिन ऐसा नहीं है। 2014 में जब मेरी फिल्में हिट हो रही थीं, मैं अवसाद से घिरती जा रही थी। मुझे कुछ अंदर ही अंदर तोड़ रहा था और मैं बस सोना चाहती थी, पूरे-पूरे दिन। अंदर का खालीपन खाए जा रहा था। आप काम पर तो जाते हैं, लेकिन किसी से बात नहीं कर पाते। चुप से रहते हैं। इन हालात से बाहर आने के लिए कई बार दवाइयों का सहारा लेना होता है। अंदर की आवाजों से ट्यूनिंग रखेंगे तो ऐसे हालातों में भी नहीं फंसेंगे।
प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ अलग रखना सीखें
मुझसे गलती हुई थी, मैंने अपनी प्रोफेशनल लाइफ को पर्सनल लाइफ पर हावी होने दिया था। अब मैं इन दोनों जिंदगियों को अलग-अलग जीना सीख गई हूं। कोई भी यहां कुछ सीखकर नहीं आया है। वो अपनी गलतियों से, असफलताओं से ही सीख रहा है। जरूरी यह है कि आप थमें नहीं, चलते रहें। हर हाल में चलते रहें। कुछ गड़बड़ होगा तो वो अपने आप सुधर जाएगा। कार में जब आप सफर करते हैं, तो खराब सड़क या खराब मौसम देखकर रुक तो नहीं जाते। गाड़ी चलती रहती है तो आंधी-तूफान को पार कर खुली धूप में अपने-आप पहुंच जाती है। यही जिंदगी है।
(विभिन्न इंटरव्यू में दीपिका पादुकोण)
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