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त्योहार है, इसलिए इस दिन देर तक सोने का कोई औचित्य नहीं है। बच्चों से लेकर बड़ों तक, सभी को सूर्य उदय से पहले नींद से जगा दें। पर्व की रस्में निभाएं। जल्दी उठने की शुरुआत भी अब से की जा सकती है।
दान करें...
मकर संक्रांति को दान-पुण्य का दिन माना जाता है। अगर आप पूरब की खिचड़ी दान की परम्परा को जानना चाहते हैं, तो समझिए कि इस दिन परिवार का हर इंसान ऐसी सामग्री दान करता है जिससे कोई एक व्यक्ति त्योहार ख़ुशी से मना पाए। इस दान के सामान में होते हैं, दाल, चावल, आलू, गाजर, अमरूद, बेर, खड़ी मिर्च, नमक, थोड़ा-सा घी और लड्डू। यानी खिचड़ी बनाने का पूरा सामान, फल और लड्डू तथा कुछ रुपए ज़रूरतमंद को दिए जाते हैं। अगर इससे पहले इस पर्व पर कभी दान नहीं किया है, तो इस संक्रांति दान ज़रूर करें और दान करने की परम्परा आरम्भ करें।
घर को पर्व रूप दें...
त्योहार घर पर ही मनाना है, तो कुछ सजावट कर लीजिए। गेंदे के फूलों की लड़ियां लगाएं। आंगन या छत को रंग-बिरंगी पतंगों से सजा दीजिए। घर के जिस हिस्से में परिवार के साथ बैठने वाले हैं और पतंग उड़ाने वाले हैं, उसे चटख रंग के कपड़ों से सजा सकते हैं। छत पर एक कैम्प लगा लीजिए, जहां खाने-पीने का सामान रखकर, पूरे दिन पतंग उड़ाकर मकर संक्रांति का त्योहार मनाइए।
पतंग उड़ाएं...
छत पर पतंग उड़ाने जैसा कोई खेल नहीं हो सकता, जिससे घर पर ही रहकर, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पर्व का आनंद उठाया जा सके।
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