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कोविड के इस दौर ने उन बच्चों के क़दम भी घर पर बांध दिए हैं, जिनके पांव एक पल नहीं टिकते थे। बच्चे न स्कूल जा रहे हैं और न पार्क-मोहल्लों में खेलने के लिए घर से बाहर निकल रहे हैं।
खेल-कूद बच्चों के दिमाग को शांत रखने और उनके विकास के लिए बहुत ज़रूरी है, जो कि कुछ महीनों से बंद है। बच्चों का दिमाग शांत रखने, तनाव दूर करने और विकास जारी रखने के लिए कुछ दिमागी कसरत कराएं। हालांकि बड़ों को भी बच्चों के साथ-साथ दिमागी कसरत करनी होगी, तभी वे रुचि लेंगे। इन्हें 3 से 12 साल की उम्र के बच्चों को करा सकते हैं।
1. भावनाएं चित्र में उकेरें
कई बार बच्चे अपनी भावनाओं को शब्दों में बयान नहीं कर पाते। ऐसे में चित्र के ज़रिए उनके दिमाग को पढ़ा जा सकता है। पूरा दिन गुज़रने के बाद बच्चे के साथ बैठें। उसे आंखे बंद करने के लिए कहें और पूरा दिन कैसा गुज़रा या कैसा महसूस किया इस पर विचार करने के लिए कहें।
क्या आज के दिन ने उसे खुश, दुखी या निराश किया? इन विचारों के आधार पर उसे काग़ज़ पर चित्र बनाने के लिए कहें। चित्र सटीक बने, इस पर दबाव नहीं डालें। साथ ही वह पेन, कलर, चॉक या जिससे भी इसे बनाना चाहे, बनाने दीजिए। इसके बाद अगर आपको लगता है कि बच्चा निराश है, तो उससे बात करने की कोशिश कर सकते हैं।
2.ग्लिटर का जार
एक साफ़ बोतल या जार में पानी भरें लेकिन ऊपर से 2-3 सेंटीमीटर खाली छोड़ दें। इसमें पारदर्शी गोंद, फूड कलर की कुछ बूंदें और ग्लिटर डालकर अच्छी तरह से बंद कर दें। फिर जार को हिलाकर इन्हें मिलाएं। अब बच्चे को बताएं कि यह जार उसका दिमाग है और ग्लिटर उसकी भावनाएं।
जार को हिलाकर टेबल पर रख दें और बच्चे को घूमते हुए ग्लिटर को नीचे आने तक ध्यान से देखने के लिए कहें। उसे बताएं कि हमारा दिमाग़ भी कुछ इसी प्रकार है। जब हम परेशान होते हैं, तो हमारे दिमाग में भी भावनाएं ग्लिटर की तरह घूमती हैं और दिमाग़ इस हलचल के चलते कई दफ़ा ग़लत फैसले भी ले लेता है।
पर जब पानी की हलचल शांत होती जाती है, तो ग्लिटर धीरे-धीरे नीचे बैठ जाता है। उसी प्रकार जब हम ख़ुद को शांत करते हैं, तो चीज़ें साफ़ दिखने लगती हैं और हम बेहतर सोच पाते हैं, सही फैसले ले पाते हैं। इस कसरत से बच्चे दिमाग़ को शांत रखना और भावनाओं को संभालना सीखेंगे।
3. चुप रहने की कसरत
बच्चे के सामने बैठ जाएं और ये कसरत शुरू करें। बच्चे को आंखें बंद करके और चुप होकर बैठना है, मुंह से कोई आवाज़ नहीं निकालनी है। साथ ही शरीर को भी यथासंभव स्थिर रखना है। इस दौरान उसे आस-पास से आने वाली आवाज़ों को सुनना है। इस खेल के लिए एक-दो मिनट का समय तय कर सकते हैं।
समय ख़त्म होने के बाद उसने क्या-क्या सुना और क्या महसूस किया, इस पर बात करें। इससे वह ख़ुद को केंद्रित करना सीखेगा और तनाव होने पर दिमाग को शांत करना भी।
4. संतुलन ज़रूरी
ये कसरत कम खेल ज़्यादा है, जिसे करने में बच्चे को मज़ा आएगा। बच्चे को एक पैर पर चलने के लिए कहें। चलते हुए दूसरा पैर ज़मीन पर बिल्कुल नहीं आना चाहिए और न ही संतुलन बिगड़ना चाहिए।
अब पूरा ध्यान संतुलन पर केंद्रित करते हुए लंगड़ी टांग खेलते हुए पूरे कमरे में चलना है। बच्चे को बेहतर कसरत कराने के लिए उसे बातों में उलझा सकते हैं।
इससे कसरत के साथ-साथ हंसी-मज़ाक का माहौल भी बनेगा, जो घर में बंद बच्चों के लिए बहुत ज़रूरी है।
ये भी ध्यान रखें
कसरत के समय अगर बच्चा उठकर इधर-उधर भागने लगे, तो उसे ज़बरदस्ती कसरत नहीं कराएं। पहले माहौल बनाएं और फिर कसरत कराएं। माहौल बनाने के लिए उसके मनपसंद खेल से शुरुआत करें और अंत भी मज़ेदार खेल से करें। हालांकि बच्चे के साथ-साथ अगर बड़े भी इसे करेंगे, तो बच्चे जल्दी दिलचस्पी दिखाएंगे।
बच्चों को कसरत के बारे में और उनसे होने वाले फ़ायदों के बारे में बताएं। ख़ुद के उदाहरण की मदद से समझा सकते हैं कि इससे कैसे फ़ायदा हुआ।
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