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हाल ही में बिहार के पहले राजकीय पक्षी उत्सव 'कलरव' का आयोजन हुआ। जमुई ज़िले के नागी-नकटी (जलाशय) पक्षी अभयारण्य में आयोजित इस तीन दिवसीय उत्सव का उद्देश्य देश के खग विशेषज्ञों और पक्षी प्रेमियाें को आकर्षित करना था। इसकी टैगलाइन थी- 'पक्षी यदि संग हैं, तो जीवन में रंग हैं।'
521 हेक्टेयर में फैले नागी-नकटी पक्षी विहार को 1984 में अभयारण्य की मान्यता मिली थी। यहां जाड़े के मौसम में देशी और प्रवासी पक्षियों की क़रीब 150 प्रजातियों का डेरा होता है। ये यूरेशिया, मध्य एशिया, आर्कटिक वृत्त, रूस तथा उत्तरी चीन आदि जगहों से यहां आते हैं। यहां देखे जा सकने वाले पंछियों में बार-हेडेड गीज़, पर्पल हेरॉन, इंडियन पाण्ड्स हेरॉन, ग्रे-हेरॉन, लिटल ग्रेबे, लिटल कार्मोरेंट, केटल एग्रेट, लिटल एग्रेट, सर्बियाई सारस, पोचार्ड, इंडियन कोर्सर, लालसर, काली गर्दन वाली पनडुब्बी, छोटी पनडुब्बी, वनकौआ, इंडियन सैंडग्रूज़ आदि शामिल हैं। बिहार में गौतम बुद्ध पक्षी अभयारण्य (गया), कावर झील पक्षी विहार (बेगूसराय) और कुशेश्वर स्थान पक्षी अभयारण्य (दरभंगा) भी हैं।
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