स्कूल टीचर डा थिडा पयोन सुबह सोकर ही उठीं थीं कि म्यांमार के चार सैनिकों ने उनके दरवाजे पर दस्तक दी। सैनिकों ने कहा,उनका बिजली बिल लंबे समय से बकाया है। उन्हेें फौरन सरकारी बिजली कंपनी के दफ्तर जाकर बिल चुकाने का आदेश दिया गया।
पयोन ने पूछा, यदि वे बिल नहीं चुकाएंगी तो क्या होगा? इस पर एक सैनिक ने उनकी ओर बंदूक तानते हुए कहा कि अगर उन्हें अपनी जान प्यारी नहीं है तो वे बिल न चुकाएं। बिल ना चुकाने वाली पयोन अकेली नहीं हैं।
पिछले साल 1 फरवरी को म्यांमार में फौज के सत्ता हथियाने के बाद लाखों लोगों ने विरोध में नौकरियां छोड़ दी थीं। नागरिकों ने असहयोग आंदोलन के बतौर बिजली के बिल चुकाना बंद कर दिया है। फौजी बगावत के 11 माह के बाद सेना नगद पैसे के लिए इतनी ज्यादा उतावली हो चुकी है कि सैनिकों ने घर-घर जाकर बकाया सरकारी पैसे और कर्ज की वसूली शुरू कर दी है।
देश के दो बड़े शहरों यांगून और मंडाले सहित सभी प्रमुख शहरों में सेना बिजली कंपनियों के कर्मचारियों के साथ बकाया बिलों की वसूली के लिए जा रही है। सैनिकों की धमकी देश में चल रहे हिंसक दमन का हिस्सा है। फौजी तख्ता पलट के बाद म्यांमार आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अर्थव्यवस्था में 18 प्रतिशत गिरावट आई है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम का अनुमान है कि 2022 में शहरी गरीबी दर तीन गुना बढ़ेगी। डॉक्टर,इंजीनियर, बैंक कर्मी, बिजली कंपनी, रेलवे के कर्मचारियों सहित लाखों लोगों ने नौकरियां छोड़ दी थीं। उनमें से अधिकतर लोग काम पर वापस नहीं लौटे हैं।
सत्ता परिवर्तन के बाद म्यांमार की करेंसी क्याट का मूल्य आधे से अधिक कम हो गया है। बैंकों में कैश की कमी है। बैंक से पैसा निकालने के लिए लोग ऑनलाइन टोकन लेते हैं या पहले फोन पर समय तय करते हैं। © The New York Times
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