अमेरिका में कड़े नियमों से कारोबार में बाधा:अश्वेत व लेटिनो बिल्डरों की सफलता के रास्ते में बाधाएं

17 दिन पहले
  • कॉपी लिंक
  • कड़े नियमों के कारण कारोबार के लिए धन मिलने में मुश्किल

अमेरिका में लगभग एक लाख 12 हजार रियल एस्टेट डेवलपमेंट कंपनियां हैं। इनमें से एक लाख 11 हजार कंपनियों के मालिक गोरे हैं। उच्च स्तर पर तो स्थिति और अधिक खराब है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार सालाना 400 करोड़ रुपए आय के 383 बड़े बिल्डरों में केवल एक लेटिनो है।

इस कतार में एक भी अश्वेत नहीं है। अर्थशास्त्रियों, सामाजिक रणनीतिकारों और सामाजिक उद्यमियों ने कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में असमानता के संकट का अध्ययन किया है। उनकी रिपोर्ट अश्वेत और लेटिन अमेरिकी देशों से आकर बसे बिल्डरों पर केंद्रित है। अश्वेतों और लेटिनो का प्रतिनिधित्व कम होने की शुरूआत पूंजी की उपलब्धता से होती है। उन्हें काम शुरू करने के लिए जरूरी धन नहीं मिलता है। बिल्डर सेसिली किंग कहते हैं, मुझे और बहुत सारे डेवलपरों को मित्रों और परिवार से धन जुटाना पड़ा है। यहां एक तथ्य पर गौर करना जरूरी है। श्वेतों के मुकाबले अश्वेतों और लेटिनो लोगों की आर्थिक स्थिति में बहुत अंतर है। औसत मध्यमवर्गीय श्वेत परिवारों की संपत्ति एक करोड़ 50 लाख रुपए है। उसकी तुलना में अश्वेतों की संपत्ति 19 लाख रुपए और लेटिनो की 29 लाख रुपए है।

तीन चौथाई गोरे परिवारों के पास स्वयं का घर है लेकिन अाधे से कम अश्वेत और लेटिनों परिवारों के पास अपना मकान है। अश्वेत बिल्डर डोनाह्यू बेकर कहते हैं, हमारे समुदाय में कोई रिश्तेदार या दोस्त पैसा देने में सक्षम नहीं है। इसलिए अश्वेत बिल्डरों की संख्या अपने आप कम हो जाती है। अमेरिका के कामयाब बिल्डरों में शामिल 71 वर्षीय विक्टर मेकफरलेन कहते हैं, पूंजी की कमी के कारण अश्वेतों, लेटिनो को सफलता नहीं मिलती है। कई दशक का अनुभव रखने वाले एक अन्य बड़े बिल्डर 63 साल के डॉन पीबल कहते हैं, वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी का 1.3 प्रतिशत से कम धन महिलाओं और अश्वेतों की कंपनियों को मिला है।

मतलब 98.7 प्रतिशत पैसा गोरे लोगों को मिला है। वेंचर कैपिटल कंपनियों ने अश्वेतों, लेटिनो की कंपनियों में पूंजी लगाने के लिए कड़े नियम और शर्तें रखी हैंं। उन्हें बीस से तीस प्रतिशत पैसा लगाना पड़ता है। काम का पुराना अनुभव बताना होता है। स्टडी में पाया गया है कि अश्वेत और लेटिनो बिल्डर्स के बहुत छोटे समूह ने कुछ मामलों में श्वेत बिल्डरों को पीछे छोड़ दिया है। निचले स्तर पर सालाना दो करोड़ 85 लाख रुपए आय वाले अश्वेत और लेटिनो बिल्डर औसत आमदनी में गोरे बिल्डरों से आगे हैं। इससे यह धारणा गलत साबित होती है कि इस वर्ग के लोग किसी प्रोजेक्ट या कारोबार को चलाने में असफल रहते हैं।

असमानता

111013
हैं, गोरों के स्वामित्व की कंपनियां

447
हैं, अश्वेतों के स्वामित्व की कंपनियां

175
हैं,लेटिनो के स्वामित्व की कंपनियां

कोलेट कोलमैन
© The New York Times

खबरें और भी हैं...