जलवायु संकट के लिए ग्लोबल लिसनिंग टूर:भारतीय मूल के अजय बंगा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लक्ष्य को आगे बढ़ाएंगे

17 दिन पहले
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  • गरीबी कम करने और जलवायु परिवर्तन पर फोकस रहेगा

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा विश्व बैंक के अगले प्रेसीडेंट के बतौर नामित भारतीय मूल के अजय बंगा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लक्ष्य को आगे बढ़ाएंगे। इसके साथ उनका खास फोकस गरीबी हटाने पर होगा। वे अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए एक माह तक दुनिया का दौरा करेंगे। बंगा को विभिन्न देशों को भरोसा दिलाना पड़ेगा कि प्राइवेट सेक्टर में उनका कई दशक का अनुभव विश्व बैंक को बदलने में उनकी मदद करेगा। बंगा सोमवार को अपना ग्लोबल लिसनिंग टूर आइवरी कोस्ट और केन्या से शुरू करेंगे। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के एक अधिकारी ने बताया, दोनों देशों में बंगा जोर देंगे कि जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों को विकास के साथ कैसे रखा जा सकता है।

वे अपने अभियान के तहत एशिया, लेटिन अमेरिका और यूरोप भी जाएंगे। जून में विश्व बैंक का प्रेसीडेंट पद छोड़ने की इच्छा जता चुके डेविड मेलपास ने पिछले साल जीवाश्म ईंधन से ग्लोबल वार्मिंग होने पर संदेह जताकर विवाद खड़ा कर दिया था।

बंगा ने इस सप्ताह स्पष्ट किया कि जलवायु परिवर्तन के कारणों को लेकर उन्हें कोई संदेह नहीं है। उसके होने के वैज्ञानिक सबूत हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और गरीबी कम करने के लक्ष्य एक दूसरे से जुड़े हैं और महत्वपूर्ण हैं। कुछ जलवायु समूहों ने सार्वजनिक क्षेत्र के सीधे अनुभव की कमी और तेल, गैस उद्योगों में निवेश करने वाली कंपनियों से बंगा के जुड़े रहने पर चिंता जताई है। स्वयंसेवी संगठन रिकोर्स ने एक बयान में कहा है, कई लोग सवाल उठाते हैं कि सिटी बैंक, नेस्ले, केएफसी और मास्टर कार्ड जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों से जुड़े रहने के कारण क्या वे गरीबी और असमानता की बड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं। अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति अल गोर सहित कई प्रमुख एक्टिविस्ट उनकी तारीफ करते हैं। अल गोर का कहना है, बंगा जलवायु संकट पर विश्व बैंक को नेतृत्व की नई भूमिका के लिए तैयार करेंगे।

भारत में जन्म लेने से नजरिए में विविधता
अजय बंगा कहते हैं, भारत में जन्म लेने और शिक्षा प्राप्त करने के नाते वे वर्ल्ड बैंक में विविधता और अनूठा नजरिया लेकर आएंगे। जोर दिया कि मास्टर कार्ड में उन्होंने महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाया है। उन्हें सीनियर पदों पर नियुक्त किया है। अमेरिकी सरकार को इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि उन्होंने ऐसे व्यक्ति का चयन किया है जो अमेरिका में जन्मा और शिक्षित नहीं हुआ है।

एलन रेपेपोर्ट
© The New York Times

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