कनाडा में प्रजा के आगे सरकार भी झुकी:लोगों ने संस्कृति बचाने की लड़ाई जीती, सरकार 17 हजार करोड़ रुपए का मुआवजा देने को तैयार

2 महीने पहले
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कनाडा सरकार ने मूल निवासियों की भाषा और संस्कृति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में दायर कई मुकदमों का निपटारा करने के लिए समझौता कर लिया है। इसके तहत वह लगभग 17 हजार करोड़ रुपए का मुआवजा देगी। एक राष्ट्रीय आयोग ने आवासीय स्कूलों में आदिवासियों को अनिवार्य रूप से भर्ती करने के सिस्टम को सांस्कृतिक नरसंहार बताया था। 2012 में ये मुकदमे दायर किेए गए थे। कनाडा में 19 वीं सदी से 1990 के दशक तक हजारों मूल निवासी छात्रों को 130 आवासीय स्कूलों में रहकर पढ़ना पड़ा था। उन्हें अपने पूर्वजों की भाषा बोलने और रीति-रिवाज मानने के कारण हिंसा का शिकार होना पड़ता था।

कई मामलों में मूल निवासियों के बच्चों को उनके परिवारों से जबर्दस्ती अलग कर स्कूलों के होस्टल में भर्ती कर दिया जाता था। ऐसे अधिकतर स्कूल चर्च चलाते थे। विश्वास किया जाता है कि इन स्कूलों में बीमारी, कुपोषण, उपेक्षा, दुर्घटनाओं, अग्निकांडों और हिंसा में हजारों छात्रों की मौत हो गई थी। नए समझौते को अदालत की मंजूरी मिलना बाकी है। अगर समझौता मंजूर हो जाता है तो 2006 के बाद यह पूर्व छात्रों को मुआवजा देने का छठवां मामला होगा। उस समय गठित एक आयोग ने पूर्व छात्रों की सुनवाई कर कई सिफारिशें की थीं।

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडू ने नए समझौते को पूरी तरह लागू करने का वचन दिया है। नए समझौते को मिलाकर सरकार अब तक पश्चाताप के रूप में 80 हजार करोड़ रुपए दे चुकी है। मूल निवासी मामलों के मंत्री मार्क मिलर का कहना है, मुकदमे दाखिल करने वालों का यह कहना सही है कि उनकी भाषा, संस्कृति और विरासत को नष्ट किया गया। सरकारी नीतियों की वजह से यह तबाही हुई है।

इन मामलों से लोग स्तब्ध
2021 में ब्रिटिश कोलंबिया में कामलूप्स इंडियन रेसिडेंशियल स्कूल के मैदानों में 215 पूर्व छात्रों की कब्र मिलने पर लोग स्तब्ध रह गए थे। जमीन के अंदर देखने वाले राडार से कब्रों के सबूत मिले थे। ऐसे कई पुराने स्कूलों की तलाश में इस तरह की कब्रगाह मिली थीं।

यान आस्टिन | ओटावा
© The New York Times

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