मध्य यूक्रेन के दिनप्रो शहर में 12 साल का रोस्तिस्लाव यारोशेंको अपने तीन मंजिला मकान के अंदर टिकटॉक वीडियो देख रहा था। यह शनिवार का दिन था। रूस से चल रहे युद्ध के अग्रिम मोर्चे से दूर शहर में लोग अपने काम में व्यस्त थे। हमलों के बीच भी लोग चौबीसों घंटे किसी न किसी काम या मदद में लगे हुए हैं। वैसे, वे चैन से नहीं रह पाते हैं।
दिनभर हवाई हमलों के सायरन बजते हैं। लगभग 3.30 बजे एक हजार किलो वजनी रूसी मिसाइल बिल्डिंग पर गिरता है। हमले में छह बच्चों समेत 46 लोगों की मौत हो जाती है। हमले के दिन यूक्रेन में पुराना नया वर्ष मनाया जा रहा था। उस दिन रूस ने कई शहरों में रॉकेट बरसाए थे। प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के बीच लोग अपने दैनंदिन काम निपटा रहे थे। न्यूयॉर्क टाइम्स के रिपोर्टर ने पाया कि हमले के बाद चला बचाव अभियान यूक्रेन के लोगों के जीवट और जज्बे की गवाही देता है। गंभीर संकट की घड़ी में वे एक-दूसरे की मदद करते हैं। जिंदगी का लुत्फ उठाते हैं। 49 साल की ओल्हा अफनासिएवा बताती हैं, हम लोग बम हमलों से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों में पनाह लेकर थक जाते हैं। फिर भी, हमला होने पर नए सिरे से कमर कस लेते हैं। बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर 27 साल की केटरिना जेलेंस्का मलबे के नीचे दब गई। उनके अपार्टमेंट पर कांक्रीट का ढेर लग गया था। अगले 24 घंटों में क्रेनों और सीढ़ियों की मदद से बचाव दल ने दर्जनों लोगोंं को बाहर निकाल लिया।
जेलेंस्का को बाहर निकालने के लिए बचाव दल को कई घंटे तक मलबा साफ करना पड़ा था। वे लगभग 24 घंटे बाद धूल में लिपटी बाहर आईं। हमले के बाद अस्पतालों में भर्ती गंभीर रूप से घायल लोगों का हौसला नहीं टूटता है। वे मुस्कान बिखेरते हुए अपने परिवार के लोगों का हाल पूछते हैं।
और यह खास मिशन
हमले के वक्त टिकटॉक वीडियो देखने वाला लड़का रोस्तीस्लाव किसी तरह बिल्डिंग से बाहर निकल आया। उसकी सफेद बिल्ली नहीं मिल रही थी। लिहाजा, फायरब्रिगेड के कर्मचारी फिर बिल्डिंग के अंदर घुसे। वे बीस मिनट बाद बिल्ली को बाहर निकाल लाए।
© The New York Times
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