पहले कोरोना वायरस और अब युद्ध। जिस तरह महामारी ने जरूरी चीजों की कमी पैदा की थी उसी तरह यूक्रेन पर रूसी हमले ने महत्वपूर्ण खाद्य वस्तुओं को प्रभावित किया है। दुनियाभर के सुपरमार्केट्स में खाने के तेल जैसी चीजों के मूल्य बढ़ गए हैं।
युद्ध से पहले यूक्रेन विश्व में सूरजमुखी के तेल का सबसे बड़ा निर्यातक था। युद्ध से फसल खटाई में पड़ गई है और कई देशों के पास सीमित स्टॉक है। पूर्व अफ्रीका में खाद्य संकट गंभीर हो रहा है। इंडोनेशिया ने तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। कुछ देशों खासकर ब्रिटेन में सुपरमार्केट्स ने खाने के तेल की बिक्री सीमित कर दी है। फूड, ड्रिंक फेडरेशन की मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी केट हलीवैल कहती हैं, कोविड-19 से सप्लाई चेन पहले ही गड़बड़ा गई थी। यूक्रेन में युद्ध से सनफ्लॉवर तेल सहित कई वस्तुओं की कमी आई है। इससे कीमतें बढ़ी हैं।
ब्रिटिश रिटेल कंसोर्टियम के प्रवक्ता टॉम होल्डर का कहना है, युद्ध से आपूर्ति में बाधा पड़ने के बाद रिटेलर्स ने ग्राहकों को सप्लाई सीमित कर दी है। स्पेन, ग्रीस, तुर्की, बेल्जियम सहित कई अन्य देशों में सुपरमार्केट्स चेन ने खाने के तेल की बिक्री पर अंकुश लगाया है।
प्रमुख ब्रिटिश चेन टेस्को के स्टोर में लगे पोस्टर में लिखा है, ग्राहक तीन बोतल खाद्य तेल खरीद सकते हैं ताकि हर किसी की जरूरत पूरी हो सके। ब्रिटेन अपनी जरूरत का 83 प्रतिशत सनफ्लॉवर तेल यूक्रेन से आयात करता है। टेस्को के समान सुपरमार्केट मॉरीसन ने दो बोतलों की सीमा तय कर दी है। ब्रिटिश कंपनी केंटर के अनुसार ब्रिटेन में सनफ्लॉवर तेल और वनस्पति तेल के मूल्य क्रमश: 27 और 40 प्रतिशत बढ़े हैं। रूस पर लगे प्रतिबंधों के कारण वैश्विक बाजारों से 25 प्रतिशत सनफ्लॉवर तेल गायब हो गया है।
सूरजमुखी के तेल की 75 प्रतिशत सप्लाई प्रभावित
यूक्रेन और रूस दुनिया को सूरजमुखी तेल की 75 प्रतिशत सप्लाई करते हैं। विश्व व्यापार संगठन का कहना है, फसलों की पैदावार प्रभावित हुई है। वस्तुओं के दाम तेजी से बढ़े हैं। कुछ कंपनियों और रेस्तराओं ने खाने-पीने का सामान सनफ्लॉवर की जगह पाम या सोयाबीन तेल से बनाना शुरू किया है।
© The New York Times
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