म्यूनिख के दक्षिण में बर्फ से ढंकी पहाड़ियों के बीच बसे गांवों के आसपास टेगर्नसी झील कई सदियों से अमीरों के मनोरंजन की जगह है। यहां बवेरियाई शाही परिवारों, रूसी जार, नाजियों या पॉप म्यूजिक स्टार ने भी आलीशान सैरगाह बनाई थीं।
पिछले कुछ वर्षों से यह इलाका रूसी अरबपतियों का पसंदीदा ठिकाना बन चुका है। जर्मन अपराध उपन्यासों के लेखक मार्टिन कालसो कहते हैं, घाटी न केवल अमीरों बल्कि गोपनीयता बरतने वाले लोगों के छिपने का स्थान है। हम उन्हें रहने देते हैं क्योंकि वे हमारी संपन्नता का साधन हैं। वे कहते हैं, दरअसल, यह मौन सहमति या कांट्रेक्ट के समान है। यूक्रेन पर रूस के हमले और उसके बाद रूसी अरबपतियों पर प्रतिबंध ने टेगर्नसी झील के ठहरे पानी में हलचल मचा दी है। लोग चुभते सवाल पूछने लगे हैं कि क्या अब इन अमीरों के सहारे धन कमाना वाजिब है। टेगर्नसी पर बसे गांव रोटाच-एगर्न की काउंसिल के सदस्य ग्रीन पार्टी के नेता थॉमस टोमास्चेक ऐसा ही सोचते हैं। गांव में कई रूसी अमीरों ने झील के किनारे शानदार मकान बना रखे हैं। टोमास्चेक ने केंद्र सरकार से अरबपतियों की संपत्ति जब्त करने या उस पर रोक लगाने की मांग की है। उनके निशाने पर खासतौर से रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के नजदीकी उद्योगपति अलीशेर उस्मानोव हैं।
धातु और माइनिंग के धंधे से जुड़े उस्मानोव के तीन बंगले झील के किनारे हैं। पास ही रूसी तेल-गैस पाइपलाइन दिग्गज इवान शबालोव की विशाल संपत्ति है। उनकी कंपनी सरकारी नियंत्रण की गैस कंपनी गैजप्रोम के साथ काम करती है।
हिटलर के मेहमान भी यहां ठहरते थे
टेगर्नसी सबसे पहले जर्मन राज्य बवेरिया के राजा मेक्समिलन जोसफ की सैरगाह बना था। उन्होंने 1837 में रुसी सम्राट जार निकोलस प्रथम को यहां आमंत्रित किया था। तानाशाह हिटलर के अतिथियों को यहां ठहराया जाता था।
यह हिटलर की खुफिया एजेंसी एसएस के अधिकारी कार्ल वोल्फ का पसंदीदा स्थान था। जिस बंगले में नाजी अमीर रुकते थे वह अब उस्मानोव का ठिकाना है। 2000 के दशक में फाइव स्टार होटल खुलने के बाद यहां आने वाले अरबपतियों की संख्या बढ़ गई।
एरिका सोलोमन |रोटाचएगर्न, जर्मनी
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