पिछले कुछ सप्ताहों में अमेरिकी संसद के दो सदस्यों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के खतरों पर आगाह किया है। डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद टेड लियू ने लिखा है, वे मानवीय लेखकों की नकल के मामले में चैटजीपीटी चैटबॉट की क्षमता से हैरत में हैं।
एक अन्य डेमोक्रेट सांसद जेक अचिनक्लॉस ने चैटबॉट द्वारा लिखे गए एक भाषण में एआई पर नियंत्रण करने की जरूरत बताई है। सांसदों की चेतावनी के बावजूद इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। एआई के खतरनाक पहलुओं के विकास को रोकने या लोगों की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं बनाया जा रहा है। रिपब्लिकन पार्टी के सांसद जे ओबरनोल्टे कहते हैं, दरअसल अधिकतर सांसद नहीं जानते कि एआई क्या है। एआई पर निष्क्रियता एक जाने-माने पैटर्न का हिस्सा है। टेक्नोलॉजी कंपनियां अमेरिकी कानूनों और नियमन को एक बार फिर पीछे छोड़ चुकी हैं। लंबे समय से सांसदों के लिए नए इनोवेशनों को समझना मुश्किल रहा है।
टेक्नोलॉजी कंपनियों ने नियमन के प्रयासों को यह कहकर नाकाम किया है कि चीन से प्रतिस्पर्धा में अमेरिका को आगे रखने के लिए इंडस्ट्री के रास्ते में बाधाएं कम होनी चाहिए। अमेरिकी सरकार पीछे है तो दूसरी ओर एआई की तेज रफ्तार ने सिलिकॉन वैली को जकड़ रखा है। टेक्नोलॉजी के सही उपयोग पर फोकस करने वाली लंदन की एडा लवलेस इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर कार्ली काइंड कहती हैं, नियंत्रण के अभाव में कंपनियों सुरक्षा की कीमत पर कारोबारी हितों को बढ़ावा दे रही हैं। अमेरिका मेें नियमन की धीमी गति के बीच यूरोपियन यूनियन ने नुकसान पहुंचाने वाली एआई टेक्नोलॉजी को दायरे में बांधने की पहल है। दूसरी ओर अमेरिका में सरकारी एजेंसियां एआई के संबंध में कुछ कदम उठा रही हैं। फेडरल ट्रेड कमीशन ने कंज्यूमर सुरक्षा नियम तोड़ने में एआई के इस्तेमाल के खिलाफ आदेश जारी किए हैं। डाटा जुटाने के लिए एआई के उपयोग पर अंकुश लगाने के नियम भी पेश होंगे।
कंज्यूमर फाइनेंशियल प्रोटेक्शन ब्यूरो ने क्रेडिट एजेंसियों के अपारदर्शी एआई सिस्टम पर चेतावनी दी है। व्हाइट हाउस ने निजता के अधिकार, सुरक्षित ऑटोमेटिड सिस्टम, अल्गोरिदम से भेदभाव के संबंध में एआई नियमों का खाका पेश किया है। लेकिन, इनमें से कोई भी प्रयास कानून से जुड़ा नहीं है। रिसर्च सेंटर एआई नाउ इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर अंबा काक कहते हैं, एआई नियमन के मामले में संसद में तस्वीर धुंधली है। एआई टूल्स का समाज में बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। इसलिए मामला बेहद नाजुक है।
टिकटॉक से यूजर का डेटा चीन सरकार को मिलने की आशंका
सपना माहेश्वरी, अमांडा होलपक
पिछले कुछ महीनों में अमेरिका, यूरोप और कनाडा में सरकारों ने चीनी कंपनी बाइटडांस के वीडियो एप टिक टॉक पर रोक लगाने के अलग-अलग प्रयास किए हैं। पिछले सोमवार को व्हाइट हाउस ने फेडरल एजेंसियों से कहा कि वे 30 दिन के अंदर सरकारी डिवाइस से एप हटा लें। कनाडा और यूरोपियन यूनियन अभी हाल में सरकारी डिवाइस पर एप को प्रतिबंधित किया है।
भारत ने 2020 में टिक टॉक सहित 59 चीनी एप पर रोक लगा दी थी। बुधवार को अमेरिकी संसद की एक कमेटी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के टिक टॉक पर पाबंदी के अधिकार दे दिए हैं। इससे सवाल उठते हैं सरकारें क्यों टिक टॉक पर बंदिश लगा रही हैं। दरअसल, पश्चिमी देशों की सरकारों को चिंता है कि टिक टॉक और बाइटडांस लोकेशन की जानकारी जैसा यूजर का संवेदनशील डेटा चीन सरकार को दे सकती हैं। चीन में सरकार ने कंपनियों और नागरिकों से जानकारियां जुटाने के लिए कानून बना रखे हैं। यह भी आशंका है कि चीन गलत सूचनाएं फैलाने के लिए टिक टॉक के कंटेंट का उपयोग कर सकता है।
सेसिला कांग, एडम सटारिआनो
© The New York Times
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