स्मार्ट फोन के एक फीचर के बारे में बहुत लोग नहीं जानते हैं। इसका अमेरिका सहित कई देशों में भी ज्यादा उपयोग नहीं हो रहा है। यह है, ई-सिम- फोन नंबर के सिम कार्ड का डिजिटल वर्जन। ई-सिम टेक्नोलॉजी ट्रैवलर्स के लिए फायदेमंद है। जल्द ही इसका इस्तेमाल बढ़ेगा क्योंकि फिजिकल सिम कार्ड अब अस्तित्व में नहीं रहेंगे। पिछले साल एपल ने स्पेस खाली करने के लिए आईफोन 14 से सिम कार्ड की ट्रे हटा दी है। मतलब यह कि फोन को मोबाइल नेटवर्क से जोड़ने के माध्यम सिम कार्ड को एपल फोन से अलग किया जा रहा है। मोबाइल फोन के मामले में दूसरी कंपनियां एपल के पीछे चलती हैं। सैमंसग और गूगल जैसे हेंडसेट मेकर जल्द ही ई-सिम को फॉलो कर सकते हैं।
यह फोन की कंप्यूटर चिप में लगा हुआ डिजिटाइज्ड सिम कार्ड है। किसी भी मोबाइल नेटवर्क के सर्विस प्लान से ई-सिम एक्टिवेट कर सकते हैं। रिसर्च फर्म रेकॉन एनालिटिक्स के रॉजर एंटनर कहते हैं, हम पसंद करें या नापसंद ई-सिम तो आ रही है। ई-सिम एपल तक सीमित नहीं है। अमेिरका का फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन भी ई-सिम टेक्नोलॉजी के पक्ष में है। इससे लोग फिजिकल सिम कार्ड के लिए स्टोर में जाए बिना सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर को बदल सकेंगे। टेक्नोलॉजी के सिक्योरिटी से संबंधित फायदे अलग हैं। अगर फोन चोरी हो जाता है तो चोर ई-सिम नहीं हटा सकेगा। अमेरिका में ट्रैवल के लिए ई-सिम डेटा प्लान का उपयोग सुविधाजनक और किफायती साबित हो रहा है। पांच साल पहले तक इंटरनेशनल रोमिंग के लिए ई-सिम डेटा प्लान की कीमत बहुत अधिक थी। सर्विस भी कई बार कमजोर रहती थी। पिछले साल से सुधार हुआ है।
कुछ खामियां भी
हमेशा की तरह नई टेक्नोलॉजी के साथ कुछ नुकसान भी जुड़े रहते हैं। ई-सिम के साथ विदेशी नेटवर्क पर डेटा प्लान एक्टिवेट करना सिम कार्ड से अलग होगा। जो लोग टेक्नोलॉजी से पूरी तरह परिचित नहीं होते हैं उनके लिए यह काम मुश्किल होगा। प्राइवेसी के सवाल भी हैं। कई ई-सिम सर्विस प्रोवाइडर ऐसे एप ऑफर करते हैं जिनका उद्देश्य डेटा जुटाना होता है।
© The New York Times
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