नीदरलैंड्स और जापान ने चीन को चिप बनाने के काम आने वाली हाई टेक मशीनों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर सहमति जताई है। दोनों देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के लिए अतिआधुनिक मशीनों का निर्माण करते हैं। वाशिंगटन में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ उच्च स्तरीय बैठकों में इस मामले पर समझौता हुआ है।
ध्यान रहे राष्ट्रपति बाइडेन ने पिछले साल अक्टूबर में चीन को सेमीकंडक्टर जैसी टेक्नोलॉजी भेजने पर रोक लगाने का एकतरफा आदेश जारी किया था। संबंधित देशों ने मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर समझौते की घोषणा नहीं की है। प्रस्तावित रोक का पूरा ब्योरा सामने नहीं आया है। जापान और नीदरलैंड्स की कंपनियों पर रोक लगने से तीनों देशों में टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री की स्थिति एक जैसी हो जाएगी।
अब दोनों देशों की कंपनियां अमेरिकी कंपनियों द्वारा छोड़े गए बाजार में हिस्सेदारी नहीं कर पाएंगी। अमेरिका, जापान और नीदरलैंड्स ने इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की है। अमेरिका ने अक्टूबर में चीन को सेमीकंडक्टर और उन्हें बनाने वाली मशीनों को बेचने पर रोक लगाई थी। उसका तर्क है कि चीन अमेरिकी कोड तोड़ने या हाइपर सोनिक मिसाइलों को निर्देशित करने जैसे सैनिक उद्देश्यों के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सकता है। प्रतिबंध लागू किए जाने से पहले ही अमेरिका नीदरलैंड्स और जापान पर चीन को आधुनिक टेक्नोलॉजी के निर्यात पर रोक लगाने के वास्ते दबाव डाल रहा है। अक्टूबर के नियम अमेरिका के बाहर की उन कंपनियों पर भी लागू हैं जो अमेरिकी टेक्नोलॉजी या सॉफ्टवेयर का उपयोग करती हैं। अमेरिका ने डच कंपनी एएसएमएल या टोक्यो इलेक्ट्रॉन, जापान जैसी कंपनियों पर सेमीकंडक्टर बनाने वाली मशीनों की बिक्री चीन को रोकने के लिए सहयोगी देशों पर दबाव डालना जारी रखा है। इस मामले में आगे भी कुछ बिंदुओं पर चर्चा जारी रहेगी।
एना स्वांसन|वाशिंगटन
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