किसी कार में अपग्रेड्स और उसका कस्टोमाइजेशन कोई नई चीज नहीं है। कार के परफॉर्मेंस को सुधारने या किसी की खास व्यक्तिगत जरूरतों अथवा विशेष उपयोग को पूरा करने के मकसद से अपग्रेड्स किए जाते हैं। आज जानते हैं कि कार में किस तरह के अपग्रेड्स किए जा सकते हैं:
1. लाइट्स: सबसे प्रचलित अपग्रेड्स ड्राइविंग लाइट्स, हेड लाइट्स और फॉग लाइट्स को लेकर किए जाते हैं। आमतौर पर सामान्य कारें 55 वॉट के हेलोजन बल्ब के साथ आती हैं, जो पीली लाइट्स फेंकती हैं और ये काफी डिसेंट होती हैं। लेकिन इसके अलावा भी कुछ दिलचस्प विकल्प होते हैं। लाइट्स के मामले में सबसे बेहतर HID होती हैं। ये ज्यादातर चमकदार होती हैं और इनकी रोशनी भी काफी दूरी तक जाती है। लेकिन ये महंगी होती हैं और इनकी लाइफ कम होती है। इसके बाद LED लाइट्स आती हैं। ये अपेक्षाकृत सस्ती, लेकिन काफी पॉवरफुल होती हैं। चाइनीज लाइट्स तो और भी प्रभावी होती हैं। और सबसे सस्ता विकल्प है कार में आने वाले कंपनी फिटेड 55 वॉट के हेलोजन बल्ब के वॉल्टेज को अपनी जरूरत के अनुसार बढ़ा लेना। लेकिन आप जो भी चुनें, चाहें हेलोजन हो या HID या LED, रंग का चयन इस तरह से करें कि वह सभी मौसम में काम आएं। लाइट्स जितनी चमकदार होंगी, मानसून के मौसम में उतनी ही दिक्कत होगी। लाइट्स में जितना पीलापन होगा, वह उतनी ही हर मौसम के ज्यादा अनुकूल रहेगी। खैर, लाइट्स जो भी हों, चाहे हेलोजन बल्ब हो या LED या HID, अगर वह 6500 K की होगी तो पर्याप्त रहेगी।
2. ब्रेक्स: कारों की गति तेज होने से अब कई यूजर्स को लगता है कि उनकी कार में कंपनी फिटेड आने वाले ब्रेक्स पर्याप्त नहीं होते हैं। ऐसे लोगों के लिए ब्रेक पैड्स और डिस्क में भी अपग्रेड्स उपलब्ध हैं। भारत में कई कंपनियां जैसे ब्रेम्बो, ईबीसी हैं जो भारत में उपलब्ध अधिकांश कारों में फिट हो जाने लायक ब्रेक पैड्स और डिस्क की आपूर्ति करती हैं। ये जो परफॉर्मेंस ब्रेक पैड्स उपलब्ध करवाती हैं, वे कार में कंपनी फिटेड ब्रैक्स से बेहतर होते हैं और ब्रैकिंग पॉवर में बढ़ोतरी कर देते हैं। हालांकि यह महंगा सौदा होता है, लेकिन परफॉर्मेंस के इच्छुक यूजर्स इसके लिए ज्यादा पैसे देने को भी उत्सुक होते हैं।
3. टायर्स: लाइट्स के बाद सबसे ज्यादा अपग्रेड टायरों के मामले में किए जाते हैं। कंपनी फिटेड टायर्स माइलेज और कंफर्ट के हिसाब से होते हैं। कुछ यूजर्स बड़े साइज के टायर लगवा लेते हैं। इसका फायदा यह होता है कि इससे न केवल कार में कंफर्ट बढ़ जाता है, बल्कि सड़क पर ग्रिप बढ़ने से ड्राइविंग भी बेहतर और सुरक्षित हो जाती है। इसके अलावा स्टैंडर्ड टायर में जो आवाज आती है, वह भी कम हो जाती है। हालांकि इसका एक नुकसान गाड़ी के माइलेज पर पड़ सकता है। माइलेज कम हो सकता है। एसयूवी यूजर्स किचड़ या पहाड़ी क्षेत्रों में अपने वाहन चलाने के लिए बड़े टायर्स फिट करवाते हैं।
परफॉर्मेंस बढ़ाने के लिए करें ये अपग्रेड
कार के परफॉर्मेंस में अपग्रेडेशन भी अब काफी सामान्य हो चला है। वाहन की इंजन कंट्रोल यूनिट्स की रिमैपिंग से कुछ कारों के पॉवर और माइलेज में 10 से 20 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है। टर्बो कारों में टर्बो की प्रोग्रामिंग की रिमैपिंग और थोड़ी-सी ट्विकिंग करके और नॉन टर्बो पेट्रोल कारों में स्पार्क में थोड़ी-सी टाइमिंग एवं फाइरिंग करके यह काम किया जाता है। केवल 15 से 20 हजार रुपए में आपकी कार अधिक पॉवरफुल बन सकती है और इससे माइलेज में भी सुधार हो सकता है। परफॉर्मेंस अपग्रेड एयर इनटेक फिल्टर्स और एग्जास्ट सिस्टम्स के साथ भी किया जा सकता है। कारों में कंपनी फिटेड फिल्टर्स पेपर के बने होते हैं और इसलिए ये यूज एंड थ्रो नेचर के होते हैं। बाजार में इसके ढेरों विकल्प उपलब्ध हैं। फ्री फ्लो एयर फिल्टर्स आमतौर पर कॉटन या स्पॉन्ज आधारित सामग्री से बने होते हैं। इससे आपका इंजन बेहतर तरीके से सांस ले पाता है। नतीजन इससे माइलेज सुधरता है।
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