रसरंग में 'मुसाफ़िर हूं यारो':अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो दुधवा नेशनल पार्क में स्वागत है

नीरज मुसाफिर2 महीने पहले
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तस्वीर : नीरज मुसाफिर - Dainik Bhaskar
तस्वीर : नीरज मुसाफिर

फरवरी आ चुकी है। धीरे-धीरे मौसम में बदलाव आने लगेगा। कड़ाके की ठंड समाप्त हो जाएगी और सुहाना मौसम शुरू हो जाएगा। इसी के साथ कोहरे का प्रकोप भी खत्म हो जाएगा। ऐसे में सवाल ये उठता है कि घूमने कहां जाया जाए।

यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं और जंगली जीव-जंतु देखने में आपकी रुचि है, तो यह मौसम दुधवा जाने का है। दुधवा उत्तर प्रदेश का एकमात्र नेशनल पार्क है और लखीमपुर खीरी जिले में नेपाल सीमा से सटा हुआ है। इस मौसम में दुधवा जाने का सबसे बड़ा लाभ ये है कि न तेज सर्दी मिलेगी, न गर्मी मिलेगी और न ही कोहरा मिलेगा। ऐसे में जंगल में घूमना आनंददायक भी हो जाता है और जंगली जानवर दिखने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।

दुधवा नेशनल पार्क एक टाइगर रिजर्व भी है, इसलिए इसकी विभिन्न रेंज में बाघ का दिखना सामान्य बात है। जंगल के अंदर से नेशनल हाइवे और रेलवे लाइन भी गुजरती हैं, इसलिए अक्सर सड़क व ट्रेन से भी बाघ का दीदार हो जाता है। बाघ देखने के लिए जंगल सफारी करना सर्वोत्तम है। सफारी के लिए आपको पहले पलिया और फिर दुधवा पहुंचना होगा। दुधवा में सफारी के लिए दो जोन हैं। पूरा मैदानी इलाका है। घना जंगल है। और जंगल के अंदर एकदम सीधे रास्ते हैं। आप एक जगह खड़े होकर आराम से दूर तक देख सकते हैं। कोई जानवर यदि रास्ते को पार करेगा, तो वह आसानी से दिख जाता है।

उत्तर प्रदेश का राजकीय पशु बारासिंगा है। पूरे प्रदेश में बारासिंगा केवल दो ही स्थानों पर पाया जाता है, जिनमें दुधवा एक है। दूसरा स्थान हस्तिनापुर वाइल्डलाइफ सेंचुरी है। दुधवा में बारासिंगा आसानी से दिख जाता है, क्योंकि यह उसका नैचुरल हैबीटेट है। बाघ और बारासिंगा के अलावा यहां हाथी, एक सींग वाला गैंडा, तेंदुआ, लोमड़ी, सियार, जंगली सुअर, चीतल, सांभर, नीलगाय आदि भी देखे जा सकते हैं। जानवरों के अलावा अनगिनत प्रकार के पक्षी भी देखे जा सकते हैं।

कतर्नियाघाट वाइल्डलाइफ सेंचुरी

दुधवा नेशनल पार्क से कुछ ही दूरी पर कतर्नियाघाट वाइल्डलाइफ सेंचुरी है। यहां नेपाल से गिरवा व कौड़िया नदियां आकर मिलती हैं और मिलने के बाद घाघरा बन जाती हैं। यहां दलदली भूमि की अधिकता है और मगरमच्छ आदि पाए जाते हैं। यहां नदी में नौका विहार का भी आनंद लिया जा सकता है। इस सेंचुरी के अंदर से भी सड़क व रेलवे लाइन गुजरती हैं, इसलिए आप सड़क पर चलते हुए व ट्रेन में बैठे-बैठे भी जंगल का भरपूर आनंद ले सकते हैं। यह वाइल्डलाइफ सेंचुरी भी नेपाल से लगी हुई है। सीमा के उस तरफ नेपाल में भी जंगल है, जिसे बार्दिया नेशनल पार्क कहते हैं। यह नेपाल के सबसे महत्वपूर्ण नेशनल पार्कों में से एक है।

कैसे पहुंचे?

दुधवा नेशनल पार्क का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन, बाजार और बस अड्डा पलिया कलां है, जो लखनऊ से 200 किलोमीटर दूर है। यहां से नियमित रूप से बसें चलती हैं। ट्रेन से जाने के लिए लखनऊ से मैलानी तक बड़ी लाइन की ट्रेनें चलती हैं। मैलानी से पलिया तक मीटर गेज की ट्रेनें चलती हैं। हालांकि दुधवा में भी रेलवे स्टेशन है, लेकिन वो जंगल में है और आम सैलानियों के उतने काम का नहीं है। मैलानी से पलिया व दुधवा होते हुए बहराइच तक नियमित रूप से ट्रेनें चलती हैं। इनके अलावा मैलानी से बिछिया तक विस्टाडोम कोच वाली एक स्पेशल ट्रेन भी चलती है, जो अच्छी तरह से जंगल की सैर कराती है।

कहां ठहरें?

दुधवा में जंगल विभाग के रेस्ट हाउसों में ठहरा जा सकता है। इनकी बुकिंग ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों प्रकार से होती है। पलिया में भी ठहरने के अच्छे विकल्प मौजूद हैं।

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