रसरंग में 'मुसाफ़िर हूं यारो':कल्पा: हिमाचल का कम मशहूर, मगर सबसे सुकूनदायक पर्यटन स्थल

नीरज मुसाफ़िर10 दिन पहले
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तस्वीर : नीरज मुसाफ़िर - Dainik Bhaskar
तस्वीर : नीरज मुसाफ़िर

गर्मियां आ चुकी हैं। जल्दी ही छुट्टियां भी पड़ने लगेंगी। ऐसे में सबसे पहले जो स्थान मन में आता है, वो है हिमाचल। हिमाचल की ठंडी-ठंडी वादियां गर्मियों में पर्यटकों की पहली पसंद होती हैं। शिमला, मनाली, डलहौजी सबसे प्रसिद्ध स्थान हैं, लेकिन अब पर्यटक उन स्थानों पर भी जाना चाहते हैं, जो ज्यादा प्रसिद्ध नहीं हैं। ऐसे कम प्रसिद्ध स्थानों पर मिलते हैं सुकून, शांति, प्रकृति का सान्निध्य और हिमाचल की संस्कृति के दर्शन।

ऐसा ही एक स्थान है कल्पा। यह किन्नौर जिले में स्थित है और शिमला से 225 किमी दूर है। शिमला से नारकंडा और रामपुर बुशहर होते हुए कल्पा पहुंचा जा सकता है। यह पूरा रास्ता खूबसूरत नजारों से भरा हुआ है और सतलुज नदी के साथ-साथ जाता है।

शिमला से कल्पा का रास्ता लंबा है और थकान भरा है, लेकिन जैसे ही आप कल्पा पहुंचते हैं, सारी थकान एकदम दूर हो जाती है। यहां से हिमालय की किन्नर कैलाश रेंज का जो नजारा दिखाई देता है, वैसा कहीं और से नहीं दिखता। ऐसा लगता है जैसे इन बर्फीले पर्वतों को हाथ बढ़ाकर छू लो। समुद्र तल से 2900 मीटर ऊपर स्थित कल्पा का मौसम गर्मियों में भी काफी ठंडा रहता है।

कल्पा एक छोटा-सा गांव है। यहां हिंदू और बौद्ध लोग रहते हैं। या यूं कहिए कि सभी लोग हिंदू व बौद्ध दोनों धर्मों को मानते हैं। इसलिए यहां मंदिर भी है और गोम्पा भी है। सुबह-शाम मंदिर और गोम्पा से आने वाली आरती व घंटियों की आवाजें मन मोह लेती हैं।

कल्पा का पुराना नाम चिनी था। यह पुरानी हिंदुस्तान-तिब्बत सड़क पर स्थित है। पहले इसी सड़क से भारत और तिब्बत के बीच आवागमन व व्यापार होता था। बाद में सतलुज नदी के साथ-साथ दूसरी सड़क बन गई, तो इस सड़क की महत्ता कम हो गई। 1962 के बाद तिब्बत के साथ आवागमन बंद हो गया, तो इसकी महत्ता और भी कम हो गई। इस सड़क पर कुछ गांव आज भी हैं, जो उस दौर की याद दिलाते हैं। इन गांवों में रोघी और पंगी प्रमुख हैं, जो कल्पा से कुछ ही दूरी पर स्थित हैं। इन गांवों के मंदिर व पुराने घर दर्शनीय हैं।

कल्पा से रोघी की तरफ चलने पर 3 किमी दूर एक ऐसा स्थान आता है, जो अत्यधिक खतरनाक है। यहां पहाड़ एकदम खड़ा है और सीधे 1,000 मीटर नीचे सतलुज नदी को देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सतलुज के साथ-साथ बनी सड़क ऐसी लगती है, जैसे किसी ने कागज पर पेन से लकीर खींच दी हो और इस पर चलती गाड़ियां चीटियां जैसी लगती हैं। इस स्थान को पहले सुसाइड पॉइंट कहते थे, लेकिन अब इसका नाम ‘रोघी क्लिफ’ या ‘रोला क्लिफ’ है। कल्पा के सबसे प्रमुख दर्शनीय स्थानों में यह पहले स्थान पर आता है।

कंडा और अन्य स्थल

कल्पा से लगभग 10 किमी दूर चाका कंडा नामक स्थान है। यह समुद्र तल से 3,500 मीटर ऊपर है। यहां पेड़ समाप्त हो जाते हैं और घास के मैदान आरंभ हो जाते हैं। सर्दियों में यहां भारी हिमपात होता है और गर्मियों में भेड़पालक यहां अपनी भेड़ों को लेकर आ जाते हैं। कल्पा से यहां पहुंचने के लिए एक कच्ची सड़क भी बनी है और ट्रैकिंग करते हुए भी जाया जा सकता है।

वैसे तो कल्पा कुछ दिन सुकून से बिताने के लिए बेहतर है, लेकिन यदि आप कल्पा के सौ-पचास किमी की दूरी में कुछ और भी देखना चाहते हैं, तो चारंग, रोपा व नाको सर्वोत्तम हैं। कल्पा से चारंग 60 किमी दूर है, रोपा 75 किमी है और नाको 100 किमी दूर है। चारंग और रोपा अत्यधिक खूबसूरत गांव हैं, जहां न के बराबर पर्यटक जाते हैं। आप सुबह कल्पा से चलकर चारंग व रोपा घूमकर शाम तक कल्पा लौट सकते हैं।

कैसे पहुंचें?

दिल्ली से कल्पा 580 किमी, चंडीगढ़ से 330 किमी और शिमला से 225 किमी दूर है। चंडीगढ़ तक फ्लाइट व ट्रेन से भी पहुंचा जा सकता है। चंडीगढ़ व शिमला से रिकोंग पिओ के लिए बसें मिल जाती हैं, जहां से कल्पा केवल 6 किमी रह जाता है। अपनी गाड़ी व टैक्सी से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।

कहां ठहरें?

कल्पा में हर बजट के होटल व होमस्टे उपलब्ध हैं। हिमाचल पर्यटन का भी होटल यहां है। यदि बजट कम है, तो रिकोंग पिओ में भी ठहरा जा सकता है।

कब अच्छा समय?

सर्दियों में कल्पा में खूब हिमपात होता है और रास्ते बंद हो जाते हैं। इस वजह से ज्यादातर होटल भी बंद रहते हैं। इसलिए कल्पा जाने का सर्वोत्तम समय मार्च से नवंबर तक रहता है।

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