कुछ दिन पहले मुझे इंस्टाग्राम पर प्रिटी जिंटा की एक तस्वीर दिखाई दी जिसमें वे एक ऊनी स्वेटर के साथ थीं। उसके नीचे लिखा हुआ था - 'मम्मी फीलिंग'। बाद में एक समाचार में पढ़ा कि प्रिटी जिंटा और उनके पति जीन गुडइनफ सरोगेसी के माध्यम से दो बच्चों जिया व जय के मम्मी-पापा बन गए हैं। अभिनेत्री ने इस अविश्वसनीय यात्रा का हिस्सा बनने के लिए इससे जुड़े सभी लोगों - डॉक्टरों, नर्सों और सेरोगेट्स माताओं को धन्यवाद दिया। यह खबर तो बड़ी है, लेकिन इसको लेकर कोई बहुत ज्यादा शोरगुल नहीं हुआ। शायद इसलिए कि प्रिटी जिंटा स्वयं सुर्खियों से बाहर हैं। मैं इसके लिए मीडिया को जिम्मेदार ठहराती हूं। स्टार बनना आसान नहीं है। उतार-चढ़ावों से निपटना भी आसान नहीं है। दरअसल, स्टारडम की सबसे बड़ी त्रासदी यही है कि आपको केवल पिछली फिल्म से याद किया जाता है।
लेकिन एक समय ऐसा भी था जब मीडिया प्रिटी की फिल्मों के अलावा उनकी हर चीज, फिर चाहे उनके बॉयफ्रेंड्स हों या उनके अतीत के बारे में, की बात करता था। इस पर वे कहती थीं, "मैं ग्लैमर के लिए शो बिजनेस में नहीं आई थी। मेरे लिए मॉडलिंग की दुनिया ही पर्याप्त थी। फिर मणिरत्नम सर ने मुझे 'दिल से' में एक कैमियो करने के लिए कहा। इसके बाद 'सोल्जर' और फिर 'क्या कहना' मेरे सामने थी। 'संघर्ष' दिलचस्प फिल्म थी, जिसमें मैंने एक पत्रकार की भूमिका निभाई थी। महेश भट्ट के साथ बातचीत एक बोनस था।'
यह उनकी किस्मत ही थी कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशकों और अभिनेताओं के साथ काम करने का मौका मिला। विधु विनोद चोपड़ा ने उन्हें 'मिशन कश्मीर' में कास्ट किया। इसके बाद उन्हें दो और अच्छी फिल्मों में काम करने का अवसर मिला। इनमें एक ऋतिक रोशन के साथ उनके घरेलू बैनर की मूवी 'कोई मिल गया' और दूसरी फरहान अख्तर की 'लक्ष्य' थी। लक्ष्य से पहले उन्होंने फरहान के साथ 'दिल चाहता है' की थी। फिल्म से पहले उन्हें लगा था कि तीन दोस्तों की कहानी में उनकी क्या भूमिका हो सकती है। लेकिन वे कहती हैं कि उन्हें अपने सह-कलाकारों को देखकर काफी कुछ सीखने को मिला।
प्रिटी कहती हैं, 'कल हो ना हो मेरे लिए हमेशा खास रहेगी क्योंकि करण खास हैं। इस फिल्म में मैंने कोई मेकअप नहीं किया था और यहां तक कि शादी के कॉस्ट्यूम के अलावा मेरे बाकी कॉस्ट्यूम भी ज्यादा ग्लैमरस नहीं थे। मुझे अमेरिका में शूटिंग आज भी याद है जहां हम सभी एक परिवार की तरह थे। इन वर्षों में मैंने और भी कई जटिल किरदार निभाए हैं। मैंने कुछ बहुत ही साधारण फिल्में भी की जैसे 'दिल है तुम्हारा' और 'द हीरो'। हमेशा सही निर्णय ले पाना संभव नहीं हो पाता है, क्योंकि कभी-कभी खराब फिल्में भी सुपर हिट हो जाती हैं और अच्छी फिल्मों पर किसी का ध्यान नहीं जाता है।'
'जो कभी गलत नहीं होता है, वह है एक अच्छा सेट अप। यशराज की फिल्म्स वीर ज़ारा व सलाम नमस्ते और धर्मा प्रोडक्शन की कभी अलविदा ना कहना एक ही समय के आसपास आई थीं और मेरे जीवन में इन्होंने काफी खुशियां बिखेरी थीं। मुझे इन तीनों फिल्मों और इनमें अपने जटिल चरित्रों पर गर्व है। मैंने जिन महिलाओं के चरित्र निभाए, उन्होंने नई सहस्राब्दी में भारतीय नायिका के बदलाव में सक्रिय रूप से योगदान दिया और मैं मुझे मिलने वाले सभी अवसरों के लिए कृतज्ञ हूं। स्टारडम की खूबी ही यह होती है कि यह आपके पैरों के नीचे से जमीन हटा देता है और सालों बाद जब आप पीछे मुड़कर देखते हैं, तो आपको विश्वास नहीं होता कि ऐसा वास्तव में आपके साथ हुआ था!'
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