बैतूल . बैतूल लोकसभा सीट पर लंबे समय बाद भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला बनता दिखाई दे रहा है। दोनों तरफ से नए चेहरे हैं। भाजपा ने गायत्री परिवार में पैठ रखने वाले और आरएसएस के करीबी डीडी उइके को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने तेजतर्रार नेता रामू टेकाम को टिकट दिया है। बैतूल के लोग मानने लगे हैं कि जैसा चुनाव 2008 के उपचुनाव में हुआ था, वैसा ही अब है।
उस समय भाजपा से हेमंत खंडेलवाल और कांग्रेस से सुखदेव पांसे आमने-सामने थे। सांसद विजय खंडेलवाल के निधन के बाद यह इलेक्शन हुआ था। इस बार कांग्रेस के टेकाम के पक्ष में कैबिनेट मंत्री सुखदेव पांसे और विनोद डागा साथ-साथ घूम रहे हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ताबड़-तोड़ आठ सभाएं कर दी हैं। नवजोत सिंह सिद्धू भी दो बार बैतूल घूम कर चले गए हैं। जबकि भाजपा में नितिन गडकरी औऱ शिवराज सिंह चौहान की पहली सभा 3 मई को हुई। बैतूल के बड़े कस्बे आठनेर में गडकरी मुलताई से सभा करके करीब तीन घंटे बाद आए। तब तक वहां सिर्फ नरेंद्र मोदी का ही प्रभाव छाया दिखाई दिया।
कांग्रेस के पास धुर्वे और कमजोर पावर प्लांट के मुद्दे : आठनेर से करीब 70 किमी दूर सारणी में कांग्रेस ने भाजपा सांसद रहीं ज्योति धुर्वे को मुद्दा बनाया है। वे यह नारा दे रहे हैं कि दस साल नकली सांसद देने वाली भाजपा पर भरोसा न किया जाए। गौरतलब है कि ज्योति धुर्वे फर्जी जाति प्रमाण-पत्र में उलझी हैं। सारणी में पुराना पॉवर प्लांट भी एक मुद्दा है। सवा लाख की आबादी वाले इस कस्बे में अब 60 हजार लोग बचे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रस्तावित नई इकाई जल्द शुरू होना चाहिए। सिंचाई और रोजगार दरकिनार हो गया है।
उइके के साथ खड़े खंडेलवाल : पूर्व सांसद व पूर्व विधायक हेमंत खंडेलवाल के पास उइके के चुनाव संचालन का जिम्मा है। खंडेलवाल पिछला विधानसभा चुनाव हारे हैं। स्थानीय स्तर पर भाजपा में इसे लेकर अंदरूनी खींचतान है। यह तब से चल रही है, जब पूर्व जिलाध्यक्ष जितेंद्र कपूर को हटाकर बाबा मकोड़े को जिलाध्यक्ष बनाया गया था। इसके पीछे खंडेलवाल थे। इसे लेकर अभी भी अनबन दिख रही है।
विधानसभावार गणित : बैतूल जिला- मुलताई, बैतूल, घोड़ा-डोंगरी और भैंसदेही सीट पर कांग्रेस जीती है। अामला भाजपा के पास है। बैतूल आरएसएस के प्रभाव वाला क्षेत्र बन गया है। मुलताई से खुद कैबिनेट मंत्री सुखदेव पांसे विधायक हैं।
हरदा जिला - टिमरनी और हरदा में भाजपा मजबूत दिख रही है। मकड़ाई रियासत से जुड़े विधायक विजय शाह और उनके भाई व विधायक संजय शाह का प्रभाव हरसूद से लेकर टिमरनी तक है। भाजपा विधायक कमल पटेल 2013 का चुनाव हरदा से हार गए थे। इस बार वे मजबूती से वापस आए हैं। हालांकि उनके बेटे सुदीप के कारण थोड़ी दिक्कत है।
खंडवा जिले की - हरसूद विधानसभा सीट से लगातार विजय शाह विधायक हैं। भाजपा मानकर चल रही है कि इस सीट से उन्हें अच्छी खासी बढ़त मिलेगी।
कोरकू-गौंड निर्णायक
गौंड | 17.7% |
कोरकू | 15.3% |
ओबीसी वर्ग से
कुंबी | 8.6% |
पंवार | 4.5% |
मुस्लिम-ईसाई क्रमश | 5 व 0.1% |
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.