भोपाल. हॉस्पिटल के बाहर फूलों का कारपेट था, पुलिस बैंड की धुनें बज रही थीं, लेकिन मौजूद सैकड़ों लोगों की आंखें नम थीं। यह दृश्य था 10 लोगों को नई जिंदगी देने वाले शशांक कोरान्ने की हॉस्पिटल से से निकली शवयात्रा का। इस दौरान सैकड़ों लोग शशांक की झलक पाने के लिए पहुंचे। शशांक का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह जब अंतिम दर्शनों के लिए हॉस्पिटल से बाहर लाया गया, परिवार के लोग खुद को संभाल न सकें। मां अपने बेटे के चेहरे को छूकर बार-बार कह रही थी, ‘उठ जा मेरे लाल, एक बार तो अपनी आंखें खोल, देख तेरी मां तुझे बुला रही है। तुझे शहीदों तरह ले जा रहे हैं।’ रोड एक्सीडेंट में हो गई थी डेथ...
- 19 दिसंबर को रोड एक्सीडेंट में 20 साल का शशांक घायल हो गया था। 9 दिन इलाज चला।
- 27 दिसंबर को डॉक्टरों ने ब्रेनडेड घोषित किया। माता-पिता ने ऑर्गन डोनेशन का डिसीजन लिया।
- इसके बाद शशांक का हार्ट, दोनों किडनी, लिवर, आंखें और स्कीन रिट्रीव की गई।
पुलिस बैंड ने दी सलामी ...
- हॉस्पिटल में पुलिस बैंड ने शशांक को आखिरी सलामी दी। हॉस्पिटल के जिस वार्ड में शशांक एडमिट था, वहां से लेकर एंबुलेंस तक का पूरा रास्ता फूलों से ढंक दिया। हॉस्पिटल के स्टाफ से लेकर बाकि मरीजों के परिवार भी शशांक को विदा देने के लिए खड़े हुए थे।
- शहर के सनखेड़ी विश्रामघाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। शशांक के पिता राजेश कोरान्ने का कहना था कि बेटे के अंगों से लोगों को नया जीवन मिला। इससे बढ़कर हमारे लिए और कुछ नहीं है।
26 जनवरी को परिवार के सम्मान का प्रस्ताव तैयार
- एडीएम के मुताबिक, 26 जनवरी पर शशांक के परिवार का सम्मान किया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन ने एक प्रस्ताव तैयार किया है। लोगों में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए जो काम इस परिवार ने किया है, वह वाकई सराहनीय काम है।