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हाईटेंशन लाइन ने रोकी सुषमा स्वराज के संसदीय क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय की राह
राजीव जैन | ओबेदुल्लागंज/ भोपाल
मोदी सरकार की अंतिम कैबिनेट में मप्र के लिए 5 केंद्रीय विद्यालय स्वीकृत हुए, लेकिन उपयुक्त जमीन का चुनाव न होने के कारण विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के क्षेत्र विदिशा का प्रस्तावित केंद्रीय विद्यालय अधर में लटक गया। यह विद्यालय औबेदुल्लागंज में खुलना था। स्थानीय नागरिकों की मांग पर विदेश मंत्री ने स्वयं यह प्रस्ताव तैयार करवाया था। इससे क्षेत्र में शिक्षा के स्तर में सुधार होता। ये विद्यालय देश में अपनी उत्कृष्ट शिक्षा के लिए जाने जाते हैं। इसमें Rs.30 करोड़ की लागत आनी थी। लेकिन इसके लिए औबेदुल्लागंज के करीब सलकनी में 5 एकड़ जमीन चिह्नित की गई थी। भास्कर को मिली जानकारी के अनुसार केवीएस, दिल्ली की एक विशेष टीम यहां जमीन का मुआयना करने आई थी। उसने कई आपत्तियां ली थीं। उसके अनुसार इस जमीन पर विद्यालय खोलना बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं था। क्योंकि इस जमीन के ऊपर से बिजली की हाईटेंशन लाइन गुजर रही थी। साथ ही दूसरे पैमानों पर भी यह जमीन विद्यालय खोलने के लिए उपयुक्त नहीं पाई गई। टीम की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय विद्यालय संगठन ने रायसेन जिला प्रशासन से दूसरी जमीन मांगी, जो उन्हें उपलब्ध नहीं कराई गई।
बेपरवाही... जहां जमीन प्रस्तावित थी, वह निर्जन क्षेत्र था
जमीन के आसपास जल निकासी की सुविधा (ड्रेनेज) होने के 5 नंबर तय होते हैं। इस जमीन पर यह सुविधा नहीं थी इसलिए इसके अंक भी नहीं मिले।
जिला प्रशासन ने कहा था कि विद्यालय के आसपास 500 से अधिक सरकारी कर्मचारी हैं। जबकि जमीन बिल्कुल निर्जन इलाके में थी। कर्मचारी इससे 2.5 किमी दूर औबेदुल्लागंज में रहते हैं। इसलिए इस पर भी अंक नहीं मिला।
वैकल्पिक भवन पर भी 10 नंबर निर्धारित थे। प्रशासन ने केंद्रीय विद्यालय के लिए सलकनी के पंचायत भवन को वैकल्पिक भवन बताया था। यह संतोषप्रद लगा। इसलिए उसने 10 में से 10 नंबर दिए।
विद्यालय की जमीन पहाड़ी और ऊबड़-खाबड़ रास्ते में न होकर समतल जगह पर हो तो इसके 5 नंबर मिलते हैं। जमीन पूरी तरह समतल थी।
प्रस्तावित जमीन पर बिजली की एचटी लाइन नहीं गुजरना चाहिए। उक्त जमीन के ऊपर से एचटी लाइन गुजर रही थी। इसके लिए 5 अंक निर्धारित थे। जो कि नहीं मिल सके।
2015 मंें की थी घोषणा...औबेदुल्लागंज में 2015 में आरओबी का भूमिपूजन करने आईं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्य सरकार के तत्कालीन मंत्री और स्थानीय विधायक सुरेंद्र पटवा के अाग्रह पर यहां केंद्रीय विद्यालय खोलने की घोषणा की थी। 1 मार्च 2017 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी स्वीकृति दी थी। इसके बाद जमीन चिह्नित की गई लेकिन उपयुक्त जमीन न होने से मंजूरी नहीं मिल सकी।
प्रशासन ने दूसरी बार जो जमीन बताई, वह भी स्कूल के लायक नहीं
इस पूरे मामले में स्थानीय अधिकारियों की बेपरवाही भी उजागर हुई है। पहली बार केवीएस की आपत्ति के बाद दूसरी बार जो जमीन प्रस्तावित की गई, उसे भी केवीएस ने स्कूल निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं पाया।
केवीएस की आपत्तियों की जानकारी है, अब नई जमीन देखेंगे
सलकनी की जमीन पर केवीएस की आपत्तियों की जानकारी है। हमने एक और जमीन चिह्नित की थी। लेकिन उसे भी केवीएस ने रिजेक्ट कर दिया था। अब नई जमीन देखेंगे। -एस. प्रिया मिश्रा, कलेक्टर, रायसेन