- 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 26,810,557 से अधिक लोग दिव्यांग हैं
- शहरी और ग्रामीण इलाकों में पुरुष दिव्यांगों की तुलना महिलाओं से काफी अधिक है
- पुरुष दिव्यांगों की संख्या 10 करोड़ तो महिलाओं की संख्या 8 करोड़ से अधिक है
भोपाल। पूरे देश में दिव्यांगों के लिए रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में दिव्यांग इसका फायदा नहीं उठा पाते। अगर दिव्यांगों का सही तरीके से मार्गदर्शन किया जाए तो ये किसी का सहारे न जीकर दूसरों को सहारा दे सकते हैं। ऑनलाइन ऐसे कई पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, जिन्हें दिव्यांग लोगों के सशक्तिकरण के लिए उन्हें ऑनलाइन ही सीखाया जा सकता है। इन पाठ्यक्रम को सीखने के बाद वे समाज में आम लोगों की तरह जिंदगी जी सकते हैं। ये कहना है उदयपुर (राजस्थान) नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल का।
प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि ग्रामीण और शहरी भारत में 60.21 प्रतिशत रोजगार की तुलना में 63.66 प्रतिशत दिव्यांग लोग काम न करने वाले हैं। दिव्यांग की की आठ श्रेणियां होती हैं, जिनमें देखना, सुनना, बोलना, चलना-फिरना, मानसिक मंदता, मानसिक बीमारी जैसी कई रोगों और विभिन्न दिव्यांगताओं को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों के बीच साक्षरता की बात की जाए तो 2011 की जनगणना के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश में 38.75% की सबसे कम साक्षरता दर दर्ज की, जिसके बाद राजस्थान 40.16% था।
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