केंद्र सरकार ने तीसरे फेज में मध्यप्रदेश में पांच मेडिकल कॉलेज खोलने की मंजूरी दी है, लिस्ट में पांच जिलाें के नाम हैं, लेकिन दमोह का नाम नहीं है। जबकि केंद्र सरकार की ओर से नीति आयोग द्वारा तीन माह पहले मेडिकल कॉलेज को लेकर जानकारी मांगी गई थी। जिससे उम्मीद जागी थी कि दमोह में मेडिकल कॉलेज खुल सकता है, लेकिन अब उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है। अब चौथी सूची से अधिकारियों को उम्मीद है।
इससे पहले दमोह में मेडिकल कॉलेज खोलने को लेकर आवाज उठी थी। यहां तक कि युवाओं ने आंदोलन तक किया था। बाद में जिले में कुपोषण, गर्भवती महिलाओं में कमजोरी सहित अन्य विषयों को लेकर जानकारी नीति आयोग के माध्यम से शासन को भेजी गई थी। कलेक्टर तरुण राठी और सीएमएचओ आरके बजाज ने भी जानकारी केंद्र और राज्य सरकार को भेजने की बात कही थी, लेकिन बाद में प्रतिक्रिया कुछ भी नहीं आई। हाल ही में मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर डिपार्टमेंट के अंडर सेक्रेटरी अमित विश्वास ने 29 नवंबर को एक आदेश जारी किया है। जिसमें उन्होंने मध्यप्रदेश के पांच जिलों में मेडिकल कॉलेज खोले जाने का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए पत्र में केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने राशि देने की भी घोषणा कर दी है। जिन जिलों में मेडिकल कॉलेज की मंजूरी मिली है, उनमें राजगढ़, मंडला, नीमच, मंदसौर और श्योपुर जिले का नाम है।
पत्र में बताया गया है कि मेडिकल कॉलेज का भवन 325 करोड़ रुपए की लागत से 50 एकड़ की भूमि पर बनेगा। जिसमें राशि का 60 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार जारी करेगी। बताया जाता है कि नीति आयोग ने मध्य प्रदेश के आठ जिलों को पिछड़ेपन की सूची में शामिल किया है। लिस्ट में दमोह का नाम भी शामिल है। सूची में सिंगरौली, बड़वानी, गुना, विदिशा, खंडवा, छतरपुर, दमोह और राजगढ़ शामिल है। आयोग ने दमोह की सबसे बड़ी समस्या रोजगार बताई थी और इस वजह से इलाके को पिछड़ापन होना माना था। रोजगार के अभाव में क्षेत्र में अपराधों का ग्राफ भी अक्सर ऊंचा होना बताया। क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में हालत ज्यादा खराब बताए थे, जहां पर स्वास्थ्य सेवाएं न होना और सुविधाओं का पूरी तरह से अभाव होना बताया है।